Jammu and Kashmir News: साल 1990 में भारतीय वायुसेना के जवानों की हत्या के मामले में एक नया मोड़ आया है। जम्मू स्थित टीएडीए कोर्ट में दो अहम गवाहों ने जेल में बंद कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को हमलावरों में से एक बताया है। गवाहों ने आरोप लगाया कि मलिक ने खुद वायुसेना के जवानों पर गोली चलाई थी। इससे मामले में अभियोजन पक्ष का पक्ष मजबूत हुआ है।
गवाहों ने मलिक के तीन अन्य सहयोगियों को भी पहचाना है। बीजेपी प्रवक्ता अमित मालवीय ने इस खबर को सोशल मीडिया पर साझा किया। उन्होंने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि एक चश्मदीद गवाह और पूर्व वायुसेना कर्मी ने कोर्ट में बयान दिया है। इससे पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीद बढ़ी है।
यह घटना 25 जनवरी 1990 की है। श्रीनगर के रावलपोरा इलाके में आतंकवादियों ने हमला किया था। वायुसेना के जवान उस समय ड्यूटी के लिए बस का इंतजार कर रहे थे। अचानक हुई गोलीबारी में चार जवान शहीद हो गए। कई अन्य घायल हुए। शहीदों में स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना भी शामिल थे।
यासीन मलिक पर लगे हैं गंभीर आरोप
इस मामले में यासीन मलिक मुख्य आरोपी है। उसके साथ छह अन्य लोगों के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। इन आरोपियों में अली मोहम्मद मीर और मंजूर अहमद सोफी जैसे नाम शामिल हैं। जावेद अहमद मीर और शोएबत अहमद बक्शी भी आरोपियों की सूची में हैं। जावेद अहमद जरगर और रफीक नानाजी पहलू पर भी मामला दर्ज है।
मलिक फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। मई 2022 में एक ट्रायल कोर्ट ने उसे यूएपीए और आईपीसी के तहत दोषी ठहराया था। उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। सुनवाई के दौरान मलिक ने आरोपों को स्वीकार भी किया था। इसके बाद से वह जेल में है।
एनआईए की मौत की सजा की मांग
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक अपील दाखिल की है। एजेंसी ने मलिक को उम्रकैद के बजाय मौत की सजा देने की मांग की है। एनआईए का कहना है कि सिर्फ आरोप स्वीकार कर लेने से आतंकवादी को फांसी से नहीं बचाया जा सकता। उनका मानना है कि ऐसा करना खतरनाक मिसाल कायम करेगा।
हाईकोर्ट ने एनआईए की इस अपील पर सुनवाई के लिए 28 जनवरी की तारीख तय की है। मलिक ने कोर्ट से कहा है कि लंबे समय तक अपील लंबित रहने से उसे मानसिक यातना झेलनी पड़ रही है। उसने न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने का अनुरोध किया है।
मलिक का दावा और शांति प्रक्रिया
पिछले सितंबर में मलिक ने हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया था। इस 85 पन्नों के दस्तावेज में उसने कई दावे किए। उसने कहा कि वह तीन दशक तक सरकार की बैकचैनल शांति प्रक्रिया का हिस्सा रहा। उसने दावा किया कि उसने कई प्रधानमंत्रियों और खुफिया प्रमुखों के साथ बातचीत की।
मलिक ने कुछ उद्योगपतियों के साथ भी बातचीत का जिक्र किया। यह दावा उसने अपनी सजा के खिलाफ अपील में किया था। उसकी दलीलों और एनआईए की मांग पर अब कोर्ट का फैसला आना बाकी है। इस पूरे मामले में अदालती कार्रवाई जारी है।
अगली सुनवाई की तारीख तय
जम्मू की टीएडीए कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। गवाहों की पहचान के बाद अभियोजन पक्ष का मामला मजबूत हुआ है। पीड़ित परिवारों को उम्मीद है कि अब उन्हें न्याय मिलेगा। चार दशक से अधिक समय से यह मामला विभिन्न अदालतों में चल रहा है।
गवाहों के बयान ने इस मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। यासीन मलिक पहले से ही कई गंभीर आरोपों में जेल में हैं। इस नए विकास से उनकी कानूनी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। पूरा मामला अब अदालत के फैसले का इंतजार कर रहा है।
