शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

प्रथम विश्व युद्ध: ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों का 109 साल पुराना संदेश बोतल में मिला, जानें पूरा मामला

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World News: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दो ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों द्वारा लिखा गया संदेश एक बोतल में 109 साल बाद ऑस्ट्रेलिया के तट पर मिला है। यह बोतल पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के एस्परेंस क्षेत्र के व्हार्टन बीच पर ब्राउन परिवार को मिली। बोतल के अंदर पंद्रह अगस्त 1916 का लिखा पत्र मिला जो पेंसिल से लिखा गया था।

यह पत्र 27 वर्षीय प्राइवेट मैल्कम नेविल और 37 वर्षीय विलियम हार्ले ने लिखा था। दोनों सैनिक ऑस्ट्रेलियाई इम्पीरियल फोर्स का हिस्सा थे। उन्होंने इस पत्र में फ्रांस के युद्धक्षेत्रों में जाने से पहले अपनी भावनाएं व्यक्त की थीं। पत्र में हल्का-फुल्का हास्य भी शामिल था।

बोतल की खोज

ब्राउन परिवार ने नौ अक्टूबर को यह बोतल समुद्र तट की सफाई के दौरान खोजी। डेब ब्राउन के पति पीटर और बेटी ने पानी की सतह पर तैरती इस बोतल को देखा। यह श्वेप्स ब्रांड की मोटी शीशे की बोतल थी। बोतल के अंदर पीली पड़ चुकी कागज की चिट्ठी मिली।

परिवार इस खोज से बहुत भावुक हो गया। डेब ब्राउन ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि कचरे में इतना मूल्यवान रत्न छिपा होगा। यह बोतल उन्हें इतिहास के पन्नों से जोड़ती है। समुद्र तट की सफाई एक साधारण कार्य से अधिक साबित हुआ।

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सैनिकों की कहानी

मैल्कम नेविल और विलियम हार्ले एचएमएटी ए70 बैलारेट जहाज पर सवार थे। यह जहाज बारह अगस्त 1916 को एडिलेड से रवाना हुआ था। यह लंबी समुद्री यात्रा यूरोप के पश्चिमी मोर्चे तक थी। जहाज प्रशांत महासागर से होकर गुजरा और हजारों किलोमीटर की दूरी तय की।

दोनों सैनिक 48वीं ऑस्ट्रेलियाई इन्फैंट्री बटालियन में शामिल होने जा रहे थे। उनके लिए यह यात्रा नई उम्मीदों और अनिश्चितताओं से भरी थी। पत्र में उन्होंने लिखा कि वे फ्रांस के युद्धक्षेत्रों में जर्मनों का मुकाबला करेंगे।

सैनिकों का भविष्य

मैल्कम नेविल का जीवन युद्ध में समाप्त हो गया। वह 1917 में फ्रांस के सोम्मे की लड़ाई में शहीद हुए। उस समय उनकी उम्र महज 28 वर्ष थी। विलियम हार्ले युद्ध में बच गए लेकिन दो बार घायल हुए। पहली बार गोलाबारी में और दूसरी बार गैस हमले में।

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हार्ले युद्ध समाप्त होने तक जीवित रहे। उनका निधन 1934 में एडिलेड में कैंसर से हुआ। परिवार का मानना है कि यह कैंसर जर्मन सेना के जहरीली गैस के हमलों का परिणाम था। खाइयों में यह गैस सैनिकों की सेहत को धीरे-धीरे नष्ट कर देती थी।

ऐतिहासिक महत्व

ऑस्ट्रेलियाई युद्ध स्मृति संस्थान ने इस बोतल की जांच शुरू कर दी है। वे इसे संरक्षित करना चाहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बोतल समुद्र की धाराओं के साथ यात्रा करती रही। दक्षिणी महासागर की लहरों ने इसे ऑस्ट्रेलिया लौटा दिया।

प्रथम विश्व युद्ध में ऑस्ट्रेलिया ने चार लाख से अधिक सैनिक भेजे थे। इनमें से साठ हज़ार सैनिक शहीद हुए। नेविल और हार्ले जैसे सैनिकों की कहानी न केवल वीरता की है बल्कि मानवीय भावनाओं की भी है। यह संदेश आज भी प्रेरणा देता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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