India News: विश्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट ने बड़ी जानकारी सामने लाई है। इसके मुताबिक, भारत अब विश्व बैंक का सबसे बड़ा कर्जदार देश बन गया है। देश पर विश्व बैंक का कुल कर्ज 24.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। यह रकम भारतीय मुद्रा में दो लाख करोड़ रुपये से भी अधिक बैठती है। यह स्थिति देश की विकास संबंधी जरूरतों को दर्शाती है।
इस मामले में भारत शीर्ष स्थान पर है। वहीं इंडोनेशिया 21.3 बिलियन डॉलर के साथ दूसरे नंबर पर मौजूद है। यूक्रेन 16.6 बिलियन डॉलर के कर्ज के साथ तीसरे स्थान पर है। कोलंबिया और ब्राजील जैसे देश भी इस सूची में शामिल हैं। फिलीपींस का नाम भी प्रमुख कर्जदार देशों में लिया गया है।
चीन जैसी आर्थिक महाशक्ति भी विश्व बैंक से कर्ज लेती है। चीन पर वर्तमान में 14.4 बिलियन डॉलर का कर्ज है। मैक्सिको, तुर्की और अर्जेंटीना भी शीर्ष दस कर्जदार देशों की सूची में शामिल हैं। यह डेटा विश्व बैंक की ओर से जारी किया गया है।
विश्व बैंक से कर्ज लेने की वजह
विकासशील देशों के लिए विश्व बैंक का कर्ज एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इस पैसे का इस्तेमाल बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास के लिए किया जाता है। भारत जैसे विशाल देश के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। गरीबी उन्मूलन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे लक्ष्य हैं।
ग्रामीण विकास, ऊर्जा और जल प्रबंधन पर भी ध्यान देना जरूरी है। इन सभी योजनाओं के लिए भारी मात्रा में धन की आवश्यकता होती है। केवल कर राजस्व या घरेलू स्रोतों से इतनी रकम जुटाना मुश्किल है। इसीलिए सरकारें अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से सहायता लेती हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। देश की ग्रोथ रेट तेज बनी हुई है। लेकिन कर्ज का बढ़ता स्तर भविष्य में चिंता का विषय बन सकता है। यह सरकार की वित्तीय स्थिति पर दबाव डाल सकता है। विशेषज्ञों की राय इस मामले में महत्वपूर्ण है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कर्ज का उपयोग उत्पादक परियोजनाओं में होना चाहिए। इससे देश की सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होगी। नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। लेकिन अगर कर्ज का इस्तेमाल केवल घाटा पाटने में किया गया तो नुकसान होगा।
अन्य देशों की स्थिति
इंडोनेशिया दूसरा सबसे बड़ा कर्जदार देश है। उसने विकास कार्यों के लिए यह कर्ज लिया है। यूक्रेन की स्थिति युद्ध के कारण विशेष है। युद्धग्रस्त यूक्रेन को आर्थिक संकट से उबरने के लिए इसकी जरूरत पड़ी। ब्राजील और कोलंबिया लातिन अमेरिकी देश हैं।
ये देश सामाजिक कार्यक्रमों और विकास पर खर्च कर रहे हैं। चीन ने भी अपने बड़े पैमाने के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए लोन लिया है। हर देश की कर्ज लेने की अपनी अलग वजह है। सभी का लक्ष्य आर्थिक प्रगति और स्थिरता हासिल करना है।
भारत के लिए आगे की रणनीति
भारत के लिए यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि कर्ज का इस्तेमाल सही जगह हो। इस पैसे को केवल उत्पादक विकास परियोजनाओं में लगाया जाए। इससे अर्थव्यवस्था की उत्पादक क्षमता बढ़ेगी। सरकार को घरेलू संसाधनों पर भी ध्यान देना होगा।
घरेलू निवेश को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। कर संग्रहण में सुधार और निर्यात बढ़ाने पर काम करना होगा। इससे भविष्य में बाहरी कर्ज पर निर्भरता कम हो सकेगी। एक मजबूत दीर्घकालिक रणनीति की जरूरत है।
विश्व बैंक से कर्ज लेना अपने आप में बुरी बात नहीं है। बशर्ते इसके प्रबंधन और इस्तेमाल में सावधानी बरती जाए। भारत के तेज विकास के लिए यह कर्ज एक अवसर के रूप में काम आ सकता है। सही योजना और क्रियान्वयन से देश इससे लाभान्वित हो सकता है।
