National Health News: सर्दियों के मौसम में कई लोगों की उंगलियों का रंग बदल जाता है। यह सफेद, नीला या बैंगनी हो सकता है। साथ में झनझनाहट, दर्द और सूजन भी महसूस होती है। अक्सर लोग इसे केवल ठंड का असर मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। यह लापरवाही रेनॉड्स सिंड्रोम जैसी स्थिति का संकेत हो सकती है। यह समस्या विशेष रूप से कम उम्र की महिलाओं में देखी जाती है।
रेनॉड्स सिंड्रोम क्या है
रेनॉड्स सिंड्रोम एक ऐसीस्थिति है जिसमें ठंड या तनाव के कारण रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं। इससे हाथ-पैर की उंगलियों में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। ऑक्सीजन की कमी के कारण उंगलियों का रंग बदलने लगता है। पहले वे सफेद, फिर नीली और बाद में लाल हो सकती हैं। इस दौरान सुन्नपन या दर्द का अनुभव हो सकता है।
लक्षणों को पहचानना जरूरी
इसकेप्राथमिक लक्षणों में उंगलियों का अचानक ठंडा पड़ जाना और रंग परिवर्तन शामिल है। कई बार उंगलियों में सूजन और जलन भी होती है। लक्षण कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक रह सकते हैं। रक्त प्रवाह सामान्य होने पर अक्सर उंगलियों में स्पंदन या झनझनाहट महसूस होती है। बार-बार ऐसा होने से त्वचा मोटी और चमकदार हो सकती है।
ये लोग हैं अधिक जोखिम में
यह समस्याविशेष रूप से 15 से 40 वर्ष की महिलाओं में आम है। जो लोग ठंडे वातावरण में काम करते हैं उनमें इसका जोखिम बढ़ जाता है। होटल उद्योग या खानपान सेवाओं में कार्यरत लोग अधिक प्रभावित होते हैं। वाइब्रेटिंग मशीनरी चलाने वाले श्रमिक भी इससे पीड़ित हो सकते हैं। धूम्रपान करने वालों में भी रक्त वाहिका संकुचन की समस्या अधिक देखी जाती है।
कारण और ट्रिगर करने वाले कारक
ठंडातापमान इस स्थिति का सबसे सामान्य ट्रिगर है। तनाव या भावनात्मक उथल-पुथल भी लक्षण पैदा कर सकती है। कुछ रोगियों को सामान्य एयर कंडीशनिंग में भी समस्या होती है। कुछ मामले ऑटोइम्यून रोगों से जुड़े होते हैं। स्क्लेरोडर्मा या लुपस जैसी बीमारियों के साथ भी रेनॉड्स के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
निदान और चिकित्सकीय सलाह
इसकेनिदान के लिए डॉक्टर रोगी के लक्षणों और इतिहास की जांच करते हैं। कैपिलरीस्कोपी टेस्ट से नाखूनों के पास की रक्त वाहिकाएं देखी जा सकती हैं। एंटीन्यूक्लियर एंटीबॉडी ब्लड टेस्ट से अंतर्निहित ऑटोइम्यून स्थिति का पता चलता है। रक्त प्रवाह की जांच के लिए डॉपलर अल्ट्रासाउंड भी किया जा सकता है। प्रारंभिक निदान और उपचार जटिलताओं को रोक सकता है।
जीवनशैली में बदलाव से बचाव
ठंड सेबचाव इस स्थिति के प्रबंधन का प्रमुख आधार है। हाथों और पैरों को गर्म रखने के लिए उचित गर्म कपड़े पहनें। ठंडे पानी के संपर्क में आने से बचने के लिए रबर के दस्ताने पहनें। तनाव प्रबंधन तकनीक जैसे योग या ध्यान लाभकारी हो सकते हैं। धूम्रपान छोड़ना रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
संभावित चिकित्सीय उपचार
गंभीर मामलोंमें दवाओं की आवश्यकता पड़ सकती है। कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स रक्त वाहिकाओं को फैलाने में मदद करती हैं। अल्फा ब्लॉकर्स भी रक्त वाहिकाओं के संकुचन को रोक सकते हैं। कुछ मामलों में टॉपिकल नाइट्रोग्लिसरीन क्रीम का उपयोग किया जाता है। सभी दवाएं चिकित्सकीय परामर्श से ही लेनी चाहिए।
गंभीर मामलों में सर्जिकल विकल्प
दुर्लभ और गंभीर मामलोंमें सर्जरी एक विकल्प हो सकती है। सिम्पेथेक्टोमी प्रक्रिया में तंत्रिकाओं को काटा जाता है जो रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ती हैं। यह सर्जरी आमतौर पर तब की जाती है जब अन्य उपचार विफल हो जाते हैं। इससे लक्षणों में कई वर्षों तक राहत मिल सकती है। सर्जरी के अपने जोखिम और लाभ होते हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए।
आहार और पोषण संबंधी सुझाव
संतुलित आहार रक्त परिसंचरण कोबेहतर बनाने में सहायक है। ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ सूजन को कम कर सकते हैं। मैग्नीशियम युक्त आहार रक्त वाहिकाओं को आराम देने में मदद करता है। विटामिन सी और ई से भरपूर खाद्य पदार्थ रक्त वाहिका स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से रक्त का थक्का जमना कम हो सकता है।
जटिलताओं पर नजर रखें
लंबेसमय तक रक्त प्रवाह में कमी से ऊतक क्षति हो सकती है। त्वचा पर घाव या अल्सर विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। गंभीर मामलों में ऊतक मृत्यु या गैंग्रीन हो सकता है। इससे संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है। नियमित रूप से चिकित्सकीय जांच और सही देखभाल इन जोखिमों को कम करती है।
