Shimla News: देश के राज्यों में उप मुख्यमंत्री बनाने पर राजनीति चरम पर है। हिमाचल में भाजपा ने कांग्रेस को न केवल निशाने पर लिया, बल्कि न्यायालय में उप मुख्यमंत्री के पद पर तैनाती को चुनौती देने की याचिका भी न्यायालय में दायर कर रखी है। हालांकि महाराष्ट्र से लेकर हरियाणा तक में भाजपा की सरकार में भी उप मुख्यमंत्री के पद पर नेता सेवाएं दे रहे हैं।
देश की आजादी के समय से ही देश में उप प्रधानमंत्री या राज्यों में उप मुख्यमंत्री का लगाने का रिवाज रहा है। वर्तमान में देश में 18 उप मुख्यमंत्री है। इसमें सबसे ज्यादा आंध्राप्रदेश में हैं। यहां पर पांच उप मुख्यमंत्री है। हिमाचल में भले ही पहली बार उप मुख्यमंत्री के पद पर किसी नेता की तैनाती की गई है। देश में ये व्यवस्था 1953 से चली आ रही है। पहला उपमुख्यमंत्री आंध्रा प्रदेश में 1953 में बने थे। पूर्व राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी पहली बार आंध्र के डिप्टी सीएम 1953 में बनी, हालांकि 1956 में ये यहां के मुख्यमंत्री भी बने।
देश में पहली सरकार के समय में ही वल्लभ भाई पटेल का देश का पहला उप मुख्यमंत्री बनाया था। इनके बाद चौधरी देवीलाल ने उप प्रधानमंत्री के पद की शपथ ली। इसे देश के सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। इसका फैसला बाद में चौधरी देवीलाल के पक्ष में आया । आज तक 8 बार मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तैनाती के फैसले को
न्यायालय में चुनौती दी जाती रही है । सभी बार इनके पक्ष में फैसला उप मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के पक्ष में ही आया है। वर्तमान में 18 उप मुख्यमंत्री दे रहे हैं देश भर में सेवाएं वर्तमान में 18 उप मुख्यमंत्री देश भर में विभिन्न राज्यों की सरकारों में सेवाएं दे रहे हैं। इनमें से कई उप मुख्यमंत्री भाजपा शासित राज्यों में हैं।
सबसे ज्यादा डिप्टी आंध्र प्रदेश में
सबसे ज्यादा डिप्टी आंध्र प्रदेश में हैं। अरुणाचल में एक, बिहार में एक, हरियाणा में एक, हिमाचल में एक, कनार्टक में एक , महाराष्ट्र में एक, मेघालय में दो , मिजोरम में एक, नागालैंड़ में एक और उत्तर प्रदेश में दो उप मुख्यमंत्री है। विपक्ष में पसीना बहाना वाले नेताओं को मिलता रहा है उप मुख्यमंत्री का पद कांग्रेस में हमेशा ही यह आरोप लगते रहे हैं कि 5 साल विपक्ष में रहते हुए जिन नेताओं ने सत्ता पक्ष के साथ सीधा लोहा लिया। उन नेताओं को ये पद मिलता रहा है।
गहलोत और पायलट के बीच में इसी बात की जंग
कर्नाटक भी इसका एक उदाहरण है, यहां पर विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष डीके शिवकुमार फील्ड में डटे रहे और चुनावों के बाद उन्होंने अपना दावा भी मुख्यमंत्री के लिए पेश किया लेकिन उन्हें कुर्सी उपमुख्यमंत्री की गई। राजस्थान में भी गहलोत और सचिन पायलट के बीच में इसी बात की जंग चली है। सचिन पायलट यही दावा करते रहे कि 5 साल विपक्ष से लड़ते रहे और उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।
मुकेश अग्निहोत्री को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी मिली
हिमाचल में भी नेता प्रतिपक्ष 5 साल रहने के बाद मुकेश अग्निहोत्री को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी मिली है। उनकी ये कुर्सी भाजपा ही नहीं बल्कि अभी कई नेताओं के गले नहीं उतर रही है। इसे न्यायालय में भाजपा की ओर से भी चुनौती दी गई है। हिमाचल भाजपा के पूर्व में प्रभारी रहे सतपाल जैन ही न्यायलय में इस मामले की पैरवी कर रहे हैं। उनका तर्क है कि हिमाचल ही ऐसा राज्य है, जहां उपमुख्यमंत्री के पद की शपथ दिलाई है।