Janmashtami 2023: जन्माष्टमी का त्योहार आ गया है. हम जब भी प्रेम और त्याग की बात करते हैं तो श्रीकृष्ण और राधा का जिक्र सबसे पहले होता है. दोनों का नाम एक साथ तो लिया जाता है, लेकिन दोनों कभी एक न हो सके. क्या आप जानते हैं कि कृष्ण से बिछड़ने के बाद राधा का क्या हुआ. एक दूसरे से अलग होने के बाद क्या दोनों दोबारा फिर कभी मिले? आइए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर आपको इस बारे में बताते हैं.
श्रीकृष्ण को बचपन से ही राधा से लगाव था. श्रीकृष्ण जब 8 साल के थे, तब दोनों को एक दूसरे से प्रेम हुआ. राधा श्रीकृष्ण के दैवीय गुणों से परिचित थीं. उन्होंने जिंदगी भर अपने मन में प्रेम की स्मृतियों को संजोए रखा. यही वजह थी कि एक दूजे से बिछड़ने के बाद भी दोनों का प्रेम जिंदा रहा.
कृष्ण के वृंदावन छोड़ने के बाद से ही राधा का वर्णन बहुत कम मिलता है. कहते हैं कि राधा और कृष्ण जब आखिरी बार मिले थे तो राधा ने कृष्ण से कहा था कि भले ही वो उनसे दूर जा रहे हैं, लेकिन मन से कृष्ण हमेशा उनके साथ ही रहेंगे. इसके बाद कृष्ण मथुरा गए और कंस और बाकी राक्षसों का वध किया. इसके बाद प्रजा की रक्षा के लिए कृष्ण द्वारका चले गए और द्वारकाधीश के नाम से जाने गए.
श्रीकृष्ण के वृंदावन से जाने के बाद राधा की जिंदगी ने अलग ही मोड़ ले लिया था. राधा का विवाह किसी और से हो गया. राधा ने अपने दांपत्य जीवन की सारी रस्में निभाईं. वो बूढ़ी हो गई, लेकिन मन कृष्ण के लिए प्रेम कभी कम नहीं रहा.
बिछड़ने के बाद फिर कब कृष्ण से मिली राधा?
कहते हैं कि सारे कर्तव्यों से मुक्त होने के बाद राधा आखिरी बार अपने प्रियतम कृष्ण से मिलने द्वारका पहुंची थीं. जब राधा को कृष्ण का रुक्मिनी और सत्यभामा से विवाह का पता चला तो वह दुखी नहीं हुईं. कृष्ण भी उन्हें देखकर बहुत खुश थे. दोनों संकेतों की भाषा में एक दूसरे से बातें करते रहे. कान्हा की नगरी में राधा को कोई नहीं जानता था. राधा कृष्ण से अलग नहीं होना चाहती थीं, इसलिए कृष्ण ने उन्हें महल में एक देविका के रूप में नियुक्त कर दिया था.
राधा महल से जुड़े कार्य देखती थीं और मौका मिलते ही कृष्ण को निहार लेती थीं. लेकिन महल में राधा ने श्रीकृष्ण के साथ पहले की तरह का आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस नहीं कर पा रही थीं, इसलिए राधा ने महल से दूर जाना तय किया. उन्होंने सोचा कि वह दूर जाकर दोबारा श्रीकृष्ण के साथ गहरा आत्मीय संबंध स्थापित कर पाएंगी.
आखिरी मिलन पर श्रीकृष्ण ने तोड़ दी थी बांसुरी
उन्हें नहीं पता था कि वह कहां जा रही हैं, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण जानते थे. धीरे-धीरे समय बीता और राधा बिल्कुल अकेली और कमजोर हो गईं. तब उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की जरूरत महसूस हुई. आखिरी लम्हे में भगवान श्रीकृष्ण उनके सामने आए. कृष्ण ने राधा से कहा कि वह उनसे कुछ भी मांग सकती हैं. लेकिन राधा ने इनकार कर दिया. कृष्ण के दोबारा अनुरोध करने पर राधा ने उनसे बांसुरी बजाने का आग्रह किया.
यह सुनते ही श्रीकृष्ण ने बांसुरी की धुन छेड़ दी. श्रीकृष्ण ने दिन-रात बांसुरी बजाई, जब तक राधा आध्यात्मिक रूप से कृष्ण में विलीन नहीं हो गईं. बांसुरी की धुन सुनते-सुनते राधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया. कृष्ण जानते थे कि उनका प्रेम अमर है, बावजूद वे राधा की मृत्यु को बर्दाश्त नहीं कर सके. कृष्ण ने प्रेम के प्रतीकात्मक अंत के रूप में बांसुरी तोड़कर फेंक दी. कहते हैं कि इस घटना के बाद से श्रीकृष्ण ने कभी बांसुरी नहीं बजाई.