Health News: आजकल कम उम्र में सफेद बालों की समस्या आम हो गई है। तनाव, प्रदूषण और गलत खानपान इसके प्रमुख कारण हैं। ज्यादातर लोग इससे निजात पाने के लिए केमिकल युक्त डाई और प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। यह उपाय अस्थायी राहत देते हैं लेकिन लंबे समय में बालों को नुकसान पहुंचाते हैं। प्राकृतिक घरेलू नुस्खे इस समस्या का सुरक्षित समाधान प्रदान करते हैं।
अमलतास की लकड़ी से तैयार हेयर स्प्रे सफेद बालों को काला करने में कारगर साबित हो सकता है। इसे बनाने के लिए मेथी दाना और कलौंजी की भी आवश्यकता होती है। यह तीनों सामग्रियां मिलकर एक शक्तिशाली हेयर टॉनिक का काम करती हैं। यह नुस्खा बालों को प्राकृतिक रूप से काला करने के साथ-साथ उन्हें मजबूती भी प्रदान करता है।
हेयर स्प्रे बनाने की विधि
सबसे पहले अमलतास की लकड़ी लें और उसे 24 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इस प्रक्रिया से पानी का रंग गहरा काला हो जाएगा। इसके बाद इस पानी को गैस पर रखकर गर्म करना शुरू करें। अब इसमें उचित मात्रा में मेथी दाना और कलौंजी डाल दें। मिश्रण में उबाल आने के बाद गैस बंद कर दें। पानी को ठंडा होने दें और फिर इसे छान लें।
स्प्रे का उपयोग करने का तरीका
तैयार काले पानी को एक साफ स्प्रे बोतल में भर लें। बालों को अच्छी तरह से कंघी करके हिस्सों में बांट लें। स्प्रे को सीधे सफेद बालों वाले स्थानों पर छिड़कें। इसे 30 से 40 मिनट तक बालों में लगा रहने दें। इसके बाद सामान्य पानी से बालों को धो लें। सप्ताह में दो से तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।
अन्य सामग्रियों का महत्व
मेथी दाना बालों के झड़ने की समस्या को नियंत्रित करता है। यह बालों की जड़ों को पोषण प्रदान करता है। कलौंजी बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने में सहायक होती है। अमलतास बालों को काला करने की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभाता है। यह तीनों मिलकर एक संपूर्ण हेयर केयर समाधान प्रस्तुत करते हैं।
नियमित उपयोग के लाभ
इस स्प्रे के नियमित उपयोग से बालों का रंग प्राकृतिक रूप से काला होने लगता है। बाल मजबूत और घने बनते हैं। बालों का झड़ना कम हो जाता है। सिर की त्वचा स्वस्थ रहती है। बालों में चमक और मुलायमापन आता है। यह विधि केमिकल उत्पादों से कहीं अधिक सुरक्षित और प्रभावी साबित होती है।
बचे हुए पानी में शैंपू मिलाकर भी उपयोग किया जा सकता है। इससे बाल धोते समय भी उन्हें पोषण मिलता रहता है। यह नुस्खा किफायती भी है क्योंकि इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्रियां आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। प्राकृतिक होने के कारण इसके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं हैं। यह हर उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त है।
