शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

गेहूं उत्पादन: किसानों ने तोड़ा रिकॉर्ड, भारत फिर से बनेगा निर्यातक देश

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India News: भारतीय किसानों ने इस साल गेहूं की बुवाई में नया रिकॉर्ड बनाया है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 14 नवंबर तक 66.2 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी थी। यह पिछले साल की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल गेहूं का उत्पादन 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। इससे देश में गेहूं की कमी का संकट दूर होगा और भारत फिर से निर्यात की स्थिति में आ सकता है।

यह बदलाव यूक्रेन युद्ध के बाद पैदा हुए संकट के बाद आया है। वर्ष 2022 में भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। यह रोक 2023 में भी जारी रही। इसकी वजह भीषण गर्मी, सूखा और कम उत्पादन था। सरकारी भंडार घटने लगे और कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं। अब स्थिति में सुधार हो रहा है।

किसानों ने क्यों बढ़ाया गेहूं उत्पादन

इस साल किसान लगभग पांच प्रतिशत अधिक क्षेत्र में गेहूं बोने जा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह बेहतर कीमतें और अनुकूल मौसम स्थितियां हैं। अक्टूबर में हुई अनियमित बारिश ने मिट्टी में नमी बढ़ा दी। इससे किसानों को वर्षा-आधारित फसलों से हटकर गेहूं की ओर रुख करने का प्रोत्साहन मिला। किसानों को लग रहा है कि गेहूं में जोखिम कम है।

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सरकार ने इस साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6.6 प्रतिशत बढ़ाकर 2,585 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। यह बढ़ोतरी किसानों को गेहूं बोने के लिए पहले से ज्यादा आकर्षित कर रही है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि बेहतर एमएसपी और मिट्टी में अधिक नमी के कारण इस साल रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है।

मौसम ने निभाई अहम भूमिका

भारत के प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में अक्टूबर में सामान्य से 161 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हुई इस बारिश ने खेल बदल दिया। देशभर में औसतन 49 प्रतिशत अतिरिक्त बारिश दर्ज की गई। यह बारिश आमतौर पर किसानों के लिए मुसीबत मानी जाती है लेकिन इस बार यह वरदान साबित हुई।

मौसम विभाग के अनुसार इस साल ला नीना की स्थिति बन रही है। इसका मतलब है कि जनवरी, फरवरी और मार्च में अधिक ठंड पड़ेगी। गेहूं की फसल के लिए ठंडा मौसम बेहद जरूरी होता है। पिछले कुछ दिनों में तापमान में गिरावट ने गेहूं की बुवाई के लिए आदर्श स्थितियां बना दी हैं।

राज्यवार बदलाव देखने को मिले

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के किसान चना जैसी फसलों से हटकर गेहूं की तरफ रुझान कर रहे हैं। इन राज्यों में किसानों ने गेहूं की खेती के लिए अतिरिक्त भूमि का उपयोग किया है। ओलम एग्री इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बार मिट्टी की नमी उम्मीद से ज्यादा है। इसलिए गेहूं की बुवाई और उत्पादन दोनों रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं।

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शिवाजी रोलर फ्लोर मिल्स के प्रबंध निदेशक अजय गोयल का कहना है कि एमएसपी में बढ़ोतरी ने किसानों के लिए गेहूं को आकर्षक बना दिया है। उन्होंने कहा कि किसानों को बेहतर मूल्य मिलने की उम्मीद है। इससे उन्हें गेहूं उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिल रहा है। किसान स्वेच्छा से अधिक गेहूं बो रहे हैं।

भविष्य में क्या होगा प्रभाव

रिकॉर्ड उत्पादन से घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतें स्थिर होंगी। इससे खाद्य महंगाई पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत फिर से गेहूं निर्यात करने की स्थिति में आ सकता है। यदि ऐसा होता है तो इससे देश की आय में वृद्धि होगी। सरकार और किसानों दोनों को इसका फायदा मिलेगा।

वर्ष 2025 में भारत ने 11.75 करोड़ टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन किया था। इस साल उत्पादन और बढ़ने की उम्मीद है। इससे न केवल घरेलू जरूरतें पूरी होंगी बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारत की भूमिका मजबूत होगी। किसानों के इस फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

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