West Bengal News: पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग से एक हैरान करने वाला और प्रेरक मामला सामने आया है। यहाँ के लोगों ने सरकारी मदद का इंतजार करना छोड़ दिया। ग्रामीणों ने अपने हौसले से नदी पर खुद ही एक पुल बना दिया है। इस पुल का नाम ‘गोरखालैंड ब्रिज’ रखा गया है। यह घटना तुंगसुंग चाय बागान और धोट्रे वैली इलाके की है। यह पुल अब पश्चिम बंगाल की पहाड़ियों में जनता की ताकत का प्रतीक बन गया है।
हजारों लोगों को हो रही थी परेशानी
स्थानीय लोग लंबे समय से नदी पार करने के लिए परेशान थे। तुंगसुंग खोला नदी पर पुल नहीं होने से जीवन रुक सा गया था। बच्चों की पढ़ाई छूट रही थी और लोग काम पर नहीं जा पा रहे थे। उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार और गोरखालैंड टेरिटोरियल अथॉरिटी से कई बार मदद मांगी। अधिकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी। इसके बाद जनता ने खुद मोर्चा संभालने का फैसला किया।
पुलिस और प्रशासन ने खड़ी की मुश्किलें
यह पुल बनाना लोगों के लिए आसान नहीं था। स्थानीय लोगों के अनुसार, प्रशासन ने इसमें कई अड़चनें डालीं। पुलिस की तरफ से काम रोकने की चेतावनी दी गई। निर्माण सामग्री की सप्लाई भी रोक दी गई थी। इसके बावजूद पश्चिम बंगाल के इन निवासियों ने हार नहीं मानी। 16 स्थानीय समितियों ने हाथ मिलाया और वॉलंटीयर तैयार किए। उन्होंने चंदा जुटाया और एक एनजीओ की मदद से सामग्री का इंतजाम किया।
गोरखा समाज की एकता की जीत
रविवार को इस पुल का भव्य उद्घाटन किया गया। इंडियन गोरखा जनशक्ति फ्रंट (IGJF) के प्रमुख अजय एडवर्ड्स ने पुल का फीता काटा। उन्होंने इसे केवल लोहे और कंक्रीट का ढांचा नहीं माना। उन्होंने इसे गोरखा समाज के दिल की धड़कन बताया। ग्रामीणों ने इसे जनशक्ति की बड़ी जीत बताया है। उन्होंने सरकार से पहाड़ी क्षेत्रों की उपेक्षा बंद करने की अपील की है।
