Himachal News: हिमाचल प्रदेश में मॉनसून की वापसी के बाद से बारिश का लंबा अंतराल चिंता का विषय बन गया है। मौसम विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि पूरे नवंबर में बारिश के कोई आसार नहीं हैं। दिसंबर की पांच तारीख के बाद ही कुछ राहत मिलने की संभावना है। इस साल नवंबर में अब तक पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 90 प्रतिशत कम वर्षा हुई है।
यह सूखापन अब सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रहा। इसका सीधा असर प्रदेश की कृषि और बागबानी पर दिखना शुरू हो गया है। सेब बागबानी में नमी की कमी के कारण बागबानों में परेशानी है। सेब के पौधों के लिए यह सूखा मौसम अनुकूल नहीं है। किसानों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं।
कृषि पर पड़ रहा बुरा प्रभाव
इस समय गेहूं की बुवाई का महत्वपूर्ण समय चल रहा है। मिट्टी में पर्याप्त नमी न होने से बिजाई के काम पर बुरा असर पड़ रहा है। कृषि विभाग ने इस स्थिति का आकलन करने के लिए मौसम विभाग से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। विभाग किसानों को सलाह जारी करने की तैयारी कर रहा है।
पिछले 24 घंटों में राज्य के लगभग सभी क्षेत्रों में मौसम शुष्क बना रहा। अधिकतम तापमान ऊना में दर्ज हुआ। लाहौल-स्पीति के कुकुमसेरी में न्यूनतम पारा -5.1 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया। यह तापमान दर्शाता है कि रातें बेहद ठंडी हो रही हैं। दिन और रात के तापमान में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है।
मौसम के पूर्वानुमान में स्पष्टता
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगले कुछ दिनों तक मैदानी, मध्यम और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम बिल्कुल साफ रहेगा। दिन में तेज धूप खिलेगी जबकि रातें ठंडी होंगी। अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में भी फिलहाल बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है। यह स्थिति दिसंबर के पहले सप्ताह तक बनी रह सकती है।
अच्छी बात यह है कि अगले कुछ दिनों के लिए राज्य के सभी 12 जिलों में किसी भी तरह की मौसम संबंधी चेतावनी जारी नहीं की गई है। इससे यात्रा और दैनिक गतिविधियां बिना किसी रुकावट के जारी रहेंगी। पर्यटकों के लिए मौसम अनुकूल बना हुआ है।
किसानों की बढ़ती चिंताएं
लगातार शुष्क मौसम ने खेती-किसानी पर निर्भर लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। उनका मानना है कि अगर यह सूखा लंबे समय तक चला तो इसका सीधा असर उनकी उपज पर पड़ेगा। राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था पर भी इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। किसान सिंचाई के वैकल्पिक साधनों की तलाश कर रहे हैं।
मौसम विभाग लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। विभाग ने कहा है कि दिसंबर के पहले सप्ताह के बाद ही मौसम में कोई बदलाव होने की संभावना है। तब तक शुष्क मौसम के ही बने रहने के आसार हैं। किसानों को इसी के अनुसार अपनी गतिविधियों की योजना बनानी होगी।
