शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

वर्धा: दिवाली में 14 किसानों की आत्महत्या से सन्नाटा, फसल बर्बादी ने बढ़ाया कर्ज का बोझ

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Maharashtra News: वर्धा जिले के किसानों के लिए यह दिवाली अंधकारमय रही। अत्यधिक बारिश ने फसलों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। बीमारी और इल्ली के प्रकोप ने उपज को और कम कर दिया। जो किसान बची-खुची फसल लेकर बाजार पहुंचे उन्हें उचित दाम नहीं मिले।

इस आर्थिक संकट ने किसानों को हताशा में धकेल दिया। दिवाली के दिनों में जिले में 14 किसानों ने आत्महत्या की। इनमें एक महिला किसान भी शामिल है। यह सभी घटनाएं 10 से 25 अक्टूबर के बीच घटित हुईं।

महिला किसान की आत्महत्या ने बढ़ाई चिंता

महिला किसान का पुत्र बैंक के कर्ज से परेशान था। पूरा परिवार इस चिंता में डूबा हुआ था। इसी मानसिक तनाव के चलते महिला ने कुएं में कूदकर जान दे दी। पिछले साल भी अतिवृष्टि के कारण किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था।

इस बार किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद थी। जिले में 4.32 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बुआई हुई थी। इसमें 2.25 लाख हेक्टेयर में कपास और डेढ़ लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल थी।

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अनियमित वर्षा ने बर्बाद की मेहनत

किसानों ने कड़ी मेहनत से फसल तैयार की थी। लेकिन अनियमित वर्षा ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। किसानों ने महंगी दवाइयां खरीदकर फसलों को बचाने की कोशिश की। समय-समय पर हुई अत्यधिक बारिश ने फसलों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया।

कई जगह फसलें बह गईं। इससे किसानों को लागत निकालना भी मुश्किल हो गया। दिवाली से पहले फसल न मिलने से किसान बाजार में अनाज नहीं बेच पाए। इससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई।

सरकारी सहायता नहीं पहुंची

सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा की थी। लेकिन दिवाली बीत जाने के बाद भी यह सहायता किसानों तक नहीं पहुंच पाई। आर्थिक संकट, परिवार के भरण-पोषण और बच्चों की पढ़ाई की चिंता ने किसानों को परेशान कर दिया।

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बैंक का कर्ज और उधारी चुकाने का सवाल किसानों को तोड़ रहा है। इसी निराशा और तनाव के चलते कई किसानों ने आत्महत्या का रास्ता चुना। जिले में किसान आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

किसान संगठनों की मांग

किसान संगठनों का कहना है कि तत्काल ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। प्रभावित किसानों तक शीघ्र आर्थिक सहायता पहुंचनी चाहिए। कर्जमाफी जैसे ठोस उपाय किए जाने चाहिए। इससे किसान फिर से आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते उपाय न किए गए तो संकट और गहराएगा। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि प्रभावित किसानों की सहायता के लिए ठोस कदम उठाए। इससे भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाओं को रोका जा सकेगा।

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