शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

मतदाता सूची: दलित, मुस्लिम और मजदूरों के मताधिकार को छीन सकती SIR प्रक्रिया, ADR का सुप्रीम कोर्ट में दावा

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Bihar News: एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि बिहार में विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया में आधार और राशन कार्ड को खारिज करना “मनमाना” है। ADR ने कहा कि यह प्रक्रिया लाखों वोटरों, खासकर गरीब, दलित, मुस्लिम और प्रवासी मजदूरों के मताधिकार को छीन सकती है।

आधार और राशन कार्ड पर विवाद

ADR ने याचिका में कहा कि चुनाव आयोग (ECI) ने आधार और राशन कार्ड को अस्वीकार करने का कोई ठोस कारण नहीं दिया। ये दस्तावेज बिहार में आम हैं और पासपोर्ट, OBC/SC/ST प्रमाणपत्र जैसे कार्यों के लिए मान्य हैं। ADR ने तर्क दिया कि ECI द्वारा स्वीकृत 11 दस्तावेज भी जाली हो सकते हैं, फिर आधार को क्यों नकारा गया?

SIR प्रक्रिया की खामियां

ADR ने आरोप लगाया कि SIR में स्पष्ट दिशानिर्देशों का अभाव है। निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए गए हैं, जिससे मनमानी हो सकती है। बिहार में गरीबी और कम दस्तावेजीकरण के कारण सख्त समयसीमा लाखों वोटरों को मताधिकार से वंचित कर सकती है। यह समयसीमा 25 जुलाई को खत्म हो चुकी है।

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वोटरों के हटने का खतरा

ADR ने चेतावनी दी कि करीब 3 करोड़ वोटर, खासकर 2003 की सूची से बाहर वाले या बिना जन्म प्रमाणपत्र वालों का नाम हट सकता है। बिहार में केवल 2.5% लोगों के पास पासपोर्ट और 14% के पास मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट है। यह प्रक्रिया गरीब और कमजोर वर्गों के लिए जोखिम भरी है। ADR ने ECI के 24 जून के आदेश को रद्द करने की मांग की।

ECI का जवाब

ECI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आधार केवल पहचान का सबूत है, न कि नागरिकता का। राशन कार्ड में धोखाधड़ी के कारण इसे खारिज किया गया। ECI ने माना कि ये दस्तावेज पूरक हो सकते हैं, लेकिन मुख्य प्रमाण नहीं। आयोग ने केंद्र सरकार की 5 करोड़ फर्जी राशन कार्ड हटाने की रिपोर्ट का हवाला दिया।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने SIR रोकने से इनकार किया, लेकिन ECI से आधार, राशन कार्ड और EPIC पर विचार करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि यह मामला वोट के अधिकार और लोकतंत्र से जुड़ा है। ECI से पूछा गया कि इतने कम समय में यह प्रक्रिया क्यों शुरू की गई। अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।

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विपक्ष का हंगामा

विपक्षी दल, जैसे RJD और कांग्रेस, ने SIR को “वोटर दमन” बताया। RJD सांसद मनोज झा ने इसे मुस्लिम, दलित और प्रवासियों के खिलाफ करार दिया। तेजस्वी यादव ने इसे बीजेपी के इशारे पर उठाया कदम कहा। X पर यूजर्स ने इसे “NRC का बैकडोर” बताया।

ECI के आंकड़े

ECI ने कहा कि SIR का पहला चरण पूरा हो चुका है। 66 लाख वोटर मसौदा सूची में नहीं होंगे। 7.23 करोड़ फॉर्म जमा हुए हैं और डिजिटल हो चुके हैं। 1 अगस्त को मसौदा सूची आएगी। 2 अगस्त से दावे-आपत्तियां ली जाएंगी और अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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