Bihar News: बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण अभियान ने लाखों लोगों को परेशानी में डाल दिया है। मिथिलेश कुमार जैसे कई लोग, जो कटिहार में दवा दुकान पर काम करते हैं, दस्तावेजों की कमी से जूझ रहे हैं। उनके पास आधार कार्ड है, लेकिन यह चुनाव आयोग के लिए मान्य नहीं। गांव की वोटर लिस्ट में नाम होने के बावजूद आवासीय या जन्म प्रमाणपत्र न होने से दिक्कतें बढ़ रही हैं।
दस्तावेजों की अनिवार्यता
चुनाव आयोग ने 11 दस्तावेजों की सूची जारी की है, जिसमें जन्म प्रमाणपत्र, मैट्रिक सर्टिफिकेट या पासपोर्ट शामिल हैं। मिथिलेश जैसे लोग, जो मैट्रिक में असफल हैं, इन दस्तावेजों को जुटाने में असमर्थ हैं। आधार, राशन कार्ड या मनरेगा जॉब कार्ड को मान्यता न मिलने से परेशानी बढ़ी है। विपक्ष इन दस्तावेजों को शामिल करने की मांग कर रहा है, ताकि गरीब और कम पढ़े-लिखे लोगों को राहत मिले।
दलालों का बोलबाला
वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया में दलालों की भूमिका भी उजागर हो रही है। मिथिलेश जैसे लोग, जिनके पास समय और पैसे की कमी है, सुविधा शुल्क देने में असमर्थ हैं। सरकारी दफ्तरों में भीड़ और लंबी प्रक्रिया के कारण कई लोग हताश हैं। कटिहार और मधेपुरा जैसे क्षेत्रों में लोग बिना दलालों के सहयोग के दस्तावेज बनवाने में मुश्किल का सामना कर रहे हैं।
गड़बड़ियों की शिकायतें
मधेपुरा की जलाल पट्टी में अभिलाषा के वोटर कार्ड पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर छपने का मामला सामने आया। उनके पति चंदन ने इसकी शिकायत की, लेकिन स्थानीय BLO ने इसे दबाने की सलाह दी। ऐसी गड़बड़ियां वोटर लिस्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रही हैं। लोग समझ नहीं पा रहे कि सही दस्तावेज कैसे जुटाएं, जिससे पुनरीक्षण प्रक्रिया और जटिल हो गई है।
फर्जी वोटरों पर नकेल
चुनाव आयोग का कहना है कि यह अभियान फर्जी वोटरों को हटाने के लिए है। बिहार के सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के फर्जी दस्तावेजों से वोटर बनने की शिकायतें मिली हैं। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि फर्जी आधार और राशन कार्ड के जरिए कई लोग वोटर लिस्ट में शामिल हो गए। आयोग अब इन गड़बड़ियों को सुधारने की कोशिश कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण को जारी रखने की मंजूरी दी है। हालांकि, कोर्ट ने आधार और राशन कार्ड को मान्य करने का सुझाव भी दिया। इससे विपक्ष को कुछ राहत मिली है, जो इसे अपनी सफलता मान रहा है। लोग अब भी जागरूकता के साथ फॉर्म जमा कर रहे हैं, लेकिन प्रक्रिया की जटिलता और दस्तावेजों की कमी उनकी राह में रोड़ा बनी हुई है।
मतदाता जागरूकता बढ़ी
इस अभियान ने मतदाता जागरूकता को बढ़ावा दिया है। मुजफ्फरपुर के नरेश वर्मा ने अपने परिवार के आठ सदस्यों के फॉर्म जमा किए। उनकी खुशी इस बात से झलकती है कि उनका परिवार वोटर बन सकेगा। फिर भी, गरीब और कम पढ़े-लिखे लोग इस प्रक्रिया से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले यह अभियान मतदाताओं के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
