शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

विजिलेंस जांच: शिमला के 3914 करोड़ के फोरलेन प्रोजेक्ट पर सर्वे लाइन से हटकर निर्माण के आरोप

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Himachal News: शिमला के महत्वपूर्ण सड़क प्रोजेक्ट कैथलीघाट-ढली फोरलेन निर्माण पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। लगभग 3,914 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह प्रोजेक्ट अब विजिलेंस जांच के दायरे में आ गया है। प्रारंभिक जांच में आशंका जताई गई है कि निर्माण कार्य स्वीकृत सर्वे लाइन से हटकर किया गया है।

इस बरसात के मौसम में शिमला के लिंडीधार में एक पांच मंजिला भवन ध्वस्त हो गया था। इस घटना के बाद फोरलेन के निर्माण कार्य पर उठे सवाल अब गंभीर आरोपों में बदल रहे हैं। विजिलेंस विभाग ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।

सर्वे लाइन से बाहर निर्माण के आरोप

प्रारंभिक जांच में पता चला है कि फोरलेन का निर्माण स्वीकृत सर्वे लाइन से हटकर किया गया हो सकता है। अगर यह बात सही साबित होती है तो इसे अवैध निर्माण की श्रेणी में रखा जाएगा। विजिलेंस टीम पहले ही साइट का दौरा कर चुकी है और कई बिंदुओं पर लाइन से हटकर काम करने की पहचान कर चुकी है।

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स्थानीय लोगों ने आरोप लगाए हैं कि सड़क विस्तार के दौरान जहां कटिंग होनी चाहिए थी, उससे आगे जाकर पहाड़ को ज्यादा काटा गया। इससे भूस्खलन की स्थिति बनी। पहाड़ को अत्यधिक काटने से इलाके की प्राकृतिक स्थिरता प्रभावित हुई है।

तकनीकी मानदंडों का पालन नहीं

प्रारंभिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि फोरलेन निर्माण निर्धारित जिगजैग कटिंग पैटर्न का पालन किए बिना तेजी से आगे बढ़ाया गया। संतुलित ढलान तकनीक का भी पालन नहीं किया गया। इससे ढलान वाले क्षेत्रों की प्राकृतिक स्थिरता पर बुरा प्रभाव पड़ा है।

विजिलेंस विभाग अब इस मामले की गहन जांच कर रहा है। सूत्रों के अनुसार विभाग जल्द ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से रिकॉर्ड मांगेगा। निर्माण कंपनी, वन विभाग और जिला प्रशासन शिमला से भी संबंधित दस्तावेज मांगे जाएंगे।

कई विभागों से मांगे जाएंगे दस्तावेज

जांच में असली सर्वे प्लान, कटिंग मैप और बजट उपयोग की जांच की जाएगी। पर्यावरणीय मंजूरी और डिजाइन परिवर्तन के प्रस्ताव भी जांच के दायरे में आएंगे। वास्तविक निर्माण की जीपीएस मैपिंग का अध्ययन किया जाएगा।

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विजिलेंस टीम यह पता लगाएगी कि फोरलेन निर्माण का कोई भी हिस्सा सर्वे लाइन से बाहर तो नहीं गया। फोरलेन निर्माण का एक इंच भी सर्वे लाइन से बाहर जाना गंभीर मामला माना जाता है। अगर आरोप सही साबित होते हैं तो जिम्मेदारी कई स्तर पर तय होगी।

विभागों की जिम्मेदारी

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की परियोजना निगरानी और लाइन अनुमोदन की जिम्मेदारी है। निर्माण कंपनी वास्तविक निर्माण और तकनीकी निष्पादन के लिए उत्तरदायी है। वन विभाग की जिम्मेदारी है कि निर्माण स्वीकृत वन सीमा के भीतर हो।

जिला प्रशासन की स्थानीय मॉनिटरिंग और भूमि अधिग्रहण की जांच की जिम्मेदारी है। ढली-कैथलीघाट फोरलेन के निर्माण में खामियों की जांच के लिए बनाई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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