Shimla News: हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड में करोड़ों रुपये के कथित घोटाले का मामला सामने आया है। विजिलेंस ने बोर्ड के पूर्व अधिकारियों और एक निजी कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाया। इससे बोर्ड को लगभग 11.85 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
यह मामला बरोटीवाला स्थित एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से जुड़ा है। शिकायत के अनुसार अक्टूबर 2012 में कंपनी की बिजली आपूर्ति बकाया राशि चुकाए बिना ही बहाल कर दी गई। यह कार्रवाई बिना वित्त शाखा की मंजूरी के की गई। पूरा प्रक्रिया नियमों के विपरीत सिर्फ एक दिन में पूरी कर ली गई।
घोटाले की जांच प्रक्रिया
विजिलेंस को मार्च 2025 में बोर्ड के चेयरमैन संजय गुप्ता की शिकायत मिली थी। इसके बाद प्रारंभिक जांच शुरू हुई। जांच में गंभीर तथ्य सामने आने पर विजिलेंस ने सरकार से अनुमति ली। फिर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया। एफआईआर में चार नामजद अधिकारियों सहित अज्ञात लोगों को शामिल किया गया है।
जांच में पाया गया कि बरोटीवाला विद्युत उपमंडल ने कंपनी के खातों का सही ढंग से मिलान तक नहीं किया। विजिलेंस रिपोर्ट के मुताबिक यह सब बोर्ड के तत्कालीन सीएमडी की मंजूरी से हुआ। इससे सप्लाई कोड 2009 के प्रावधानों का सीधा उल्लंघन हुआ।
नियमों की अनदेखी के गंभीर परिणाम
बिजली बोर्ड के नियमों के अनुसार बकाया राशि चुकाए बिना सप्लाई बहाल नहीं की जा सकती। लेकिन इस मामले में इस नियम की खुली अवहेलना हुई। वित्त एवं लेखा शाखा से अनिवार्य मंजूरी नहीं ली गई। इससे कंपनी को गलत तरीके से लाभ मिला।
विजिलेंस की कार्रवाई के बाद बिजली बोर्ड के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। अधिकारियों की इस कार्रवाई से बोर्ड की वित्तीय प्रक्रियाओं पर सवाल उठ रहे हैं। मामले की गहन जांच जारी है और आगे की कार्रवाई का इंतजार है।
