Madhya Pradesh News: विदिशा का एक दलित परिवार पुलिस और प्रशासनिक उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भोपाल पैदल यात्रा पर निकल पड़ा है। परिवार के मुखिया विक्रम अहिरवार का आरोप है कि उन्हें लगातार झूठे मामलों में फंसाने की धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने जनवरी में लोकायुक्त में एक कर्मचारी के खिलाफ रिश्वत की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद से उन पर दबाव बनाया जा रहा है।
विक्रम अहिरवार बताते हैं कि उनकी शिकायत पर लोकायुक्त ने कार्रवाई की और संबंधित कर्मचारी पर जुर्माना लगाया। लेकिन इसके बाद उस कर्मचारी ने सेटिंग करके खुद को पुलिस लाइन में अटैच करवा लिया। अब वही कर्मचारी विक्रम और उनके परिवार को झूठे मामलों में फंसाने की धमकियां दे रहा है। परिवार ने इस संबंध में एसपी से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
परिवार ने ली पैदल यात्रा की शुरुआत
इन हालातों में मजबूर होकर विक्रम अहिरवार ने अपने पूरे परिवार के साथ विदिशा से भोपाल के लिए पैदल यात्रा शुरू कर दी है। परिवार में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। उनका उद्देश्य प्रदेश के मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाना है। विक्रम का कहना है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने उनकी सुनवाई नहीं की।
परिवार के सदस्यों का मानना है कि अब केवल शीर्ष स्तर पर हस्तक्षेप से ही उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है। उन्होंने बताया कि धमकियों के चलते उनका गांव में रहना मुश्किल हो गया है। लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराने के बाद से ही उनके खिलाफ एक सुनियोजित मुहिम चल रही है। पुलिस उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करने की तैयारी में है।
लोकायुक्त शिकायत बनी मुसीबत
विक्रम अहिरवार ने जनवरी महीने में विदिशा लोकायुक्त में एक सरकारी कर्मचारी के खिलाफ रिश्वत लेने की शिकायत दर्ज कराई थी। लोकायुक्त ने इस शिकायत पर संज्ञान लेते हुए जांच की और उस कर्मचारी पर जुर्माना लगाया। लेकिन इस कार्रवाई के बाद ही विक्रम के लिए मुसीबतों का दौर शुरू हो गया।
दंडित कर्मचारी ने पुलिस विभाग में अपनी पहुंच का इस्तेमाल किया और खुद को पुलिस लाइन में तैनात करवा लिया। इस नई पोजीशन का इस्तेमाल करते हुए उसने विक्रम और उनके परिवार को परेशान करना शुरू कर दिया। विक्रम को लगातार धमकी भरे फोन आने लगे और उन्हें झूठे मामलों में फंसाने की चेतावनी दी जाने लगी।
एसपी से शिकायत पर नहीं हुई कार्रवाई
धमकियों और उत्पीड़न से तंग आकर विक्रम अहिरवार ने विदिशा के एसपी से संपर्क किया। उन्होंने लिखित और मौखिक रूप से अपनी समस्या बताई और सुरक्षा की गुहार लगाई। लेकिन एसपी कार्यालय से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। पुलिस प्रशासन ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया।
इस उपेक्षा ने परिवार को और मजबूर कर दिया। विक्रम का कहना है कि जब स्थानीय स्तर पर न्याय नहीं मिला तो उनके पास मुख्यमंत्री तक सीधे अपनी बात पहुंचाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। पैदल यात्रा उनकी इसी मजबूरी का परिणाम है। परिवार को उम्मीद है कि प्रदेश के मुखिया उनकी समस्या सुनेंगे।
परिवार चल रहा है भोपाल की ओर
विक्रम अहिरवार का पूरा परिवार इस समय सड़क पर है। उनके साथ परिवार की महिलाएं और बच्चे भी हैं। यह यात्रा काफी कठिनाइयों भरी है, लेकिन परिवार न्याय की उम्मीद में आगे बढ़ रहा है। उनका मानना है कि केवल शीर्ष स्तर पर हस्तक्षेप से ही उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है।
रास्ते में उन्हें कई लोगों का समर्थन भी मिल रहा है। स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले में परिवार के साथ खड़े हैं। उनका कहना है कि यह मामला न्याय व्यवस्था और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। एक ईमानदार नागरिक को शिकायत करने की कीमत चुकानी पड़ रही है।
