India News: उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। साल 2022 में उपराष्ट्रपति बने धनखड़ का कार्यकाल 2027 तक था। वह कार्यकाल पूरा न करने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति हैं। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। इससे पहले वीवी गिरी और कृष्णकांत भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे। उनके इस्तीफे ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
पीएम मोदी की बैठक में क्या हुआ?
सूत्रों के मुताबिक, मानसून सत्र के पहले दिन विपक्ष के हंगामे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक हुई। दावा है कि इस बैठक में ही उपराष्ट्रपति इस्तीफे की पटकथा लिखी गई। सूत्रों ने बताया कि बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। धनखड़ के इस्तीफे से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय में भी गतिविधियां तेज थीं। यह राजनीतिक घटनाक्रम को और रहस्यमय बनाता है।
राजनाथ सिंह के कार्यालय में हलचल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमवार शाम को राजनाथ सिंह के संसद स्थित कार्यालय में काफी हलचल रही। कई भाजपा सांसद वहां पहुंचे और बिना कुछ बोले निकल गए। एक सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवाए गए। इस रहस्यमय गतिविधि ने अटकलों को और हवा दी। उपराष्ट्रपति इस्तीफे के पीछे की वजहों पर सवाल उठ रहे हैं।
बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में नाराजगी
सदन की कार्यवाही के बीच बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में धनखड़ नाराज दिखे। सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल मुरुगन ने बैठक को मंगलवार के लिए टालने का आग्रह किया। जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू की गैरमौजूदगी से धनखड़ नाखुश थे। दिन में दो बार हुई बैठक बेनतीजा रही। नड्डा ने बाद में सफाई दी कि वह और रिजिजू अन्य संसदीय कार्यों में व्यस्त थे।
नड्डा की सफाई और विवाद
जेपी नड्डा ने अपनी अनुपस्थिति पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने और किरेन रिजिजू ने पहले ही उपराष्ट्रपति कार्यालय को सूचित कर दिया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका ‘रिकॉर्ड’ वाला बयान विपक्षी सांसदों के लिए था, न कि सभापति के लिए। इस बीच, धनखड़ के इस्तीफे ने सियासी गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। नए उपराष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
