Himachal News: हमीरपुर के हीरानगर निवासी वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने 1 अगस्त 2025 को भारतीय नौसेना के 47वें उप नौसेना प्रमुख का पद संभाला। उन्होंने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। 1988 में नौसेना में कमीशन प्राप्त वात्स्यायन गनरी और मिसाइल सिस्टम विशेषज्ञ हैं। उन्होंने कई युद्धपोतों का नेतृत्व किया। उनकी नियुक्ति हिमाचल के लिए गर्व का क्षण है। पदभार ग्रहण समारोह दिल्ली में हुआ।
नौसेना में योगदान
वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने तीन दशकों से अधिक समय तक नौसेना में सेवा दी। उन्होंने आईएनएस सह्याद्री के पहले कमांडिंग ऑफिसर के रूप में कार्य किया। नेशनल डिफेंस अकादमी के 71वें कोर्स के छात्र रहे। डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज और नेवल वॉर कॉलेज से स्नातक हैं। पूर्व में डिप्टी चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के रूप में सेवा दी। उनकी नियुक्ति रणनीतिक नेतृत्व को मजबूत करेगी।
सम्मान और उपलब्धियां
संजय वात्स्यायन को अति विशिष्ट सेवा मेडल और नौ सेना मेडल से सम्मानित किया गया। उन्होंने नौसेना के कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनल और प्रशिक्षण पदों पर कार्य किया। आईएनएस मायसूर के कमीशनिंग क्रू का हिस्सा रहे। पूर्वी फ्लीट के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग के रूप में भी सेवा दी। उनकी विशेषज्ञता मिसाइल युद्ध और स्वदेशी प्लेटफार्मों में है। नौसेना की आधुनिकीकरण योजनाओं में उनका योगदान महत्वपूर्ण है।
नेतृत्व परिवर्तन
वाइस एडमिरल संजय वात्स्यायन ने वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन से पदभार ग्रहण किया। स्वामीनाथन अब वेस्टर्न नेवल कमांड के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ हैं। वात्स्यायन की नियुक्ति भारतीय नौसेना के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने संयुक्त सेवा समन्वय और स्वदेशीकरण नीतियों को बढ़ावा दिया। उनकी अगुवाई में नौसेना नए कीर्तिमान स्थापित करेगी। यह हिमाचल के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है।
