शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

वाराणसी: रामकमल दास के नाम 50 से ज्यादा पुत्र कैसे? कांग्रेस के सवाल पर भड़के साधु-संत; जानें क्यों

Share

Uttar Pradesh News: वाराणसी के कश्मीरिगंज वार्ड में मतदाता सूची को लेकर उठे विवाद ने राजनीतिक बहस छेड़ दी है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि एक ही नाम के 50 से अधिक पुत्र मतदाता सूची में दर्ज हैं, जिस पर धोखाधड़ी का संदेह जताया गया। हालांकि, रामजानकी मठ के संतों ने इसे सदियों पुरानी गुरु-शिष्य परंपरा बताते हुए आरोपों को खारिज किया है।

क्या है पूरा मामला?

कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि वाराणसी की मतदाता सूची में ‘रामकमल दास’ नाम के एक व्यक्ति के 50 से ज्यादा पुत्र दर्ज हैं। पार्टी ने इसे चुनावी धोखाधड़ी का मामला बताया। लेकिन रामजानकी मठ के संतों ने स्पष्ट किया कि यह गुरु-शिष्य परंपरा का हिस्सा है, जहां शिष्य अपने गुरु को पिता मानकर दस्तावेजों में उनका नाम लिखवाते हैं।

यह भी पढ़ें:  Chandigarh News: चलती बाइक पर छात्रा से छेड़छाड़, वीडियो बनाकर सिखाया सबक, Uber राइडर जेल भेजा

गुरु-शिष्य परंपरा का पक्ष

मठ के प्रबंधक रामभरत शास्त्री ने बताया कि सूची में दर्ज पता मंदिर का है, जिसकी स्थापना आचार्य रामकमल दास ने की थी। उन्होंने कहा, “हमारे शिष्य गुरु को ही पिता मानते हैं, इसलिए वोटर आईडी और अन्य दस्तावेजों में गुरु का नाम दर्ज होता है। यह धार्मिक परंपरा है, न कि कोई धोखाधड़ी।”

सरकारी नियमों में है प्रावधान

मठ के वरिष्ठ शिष्य अभिराम ने बताया कि 2016 में केंद्र सरकार ने साधु-संन्यासियों के लिए विशेष प्रावधान बनाया था। इसके तहत वे अपने दस्तावेजों में जैविक पिता की जगह गुरु का नाम लिखवा सकते हैं। उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह कानूनी है और सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।”

राजनीतिक आरोपों पर संतों की प्रतिक्रिया

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कांग्रेस के आरोपों को सनातन परंपरा पर हमला बताया। उन्होंने कहा, “गुरुकुल परंपरा में शिष्यों के वोटर आईडी में गुरु का नाम होना सामान्य बात है। इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश नहीं होनी चाहिए।” संतों ने शांति बनाए रखने के लिए ‘बुद्धि शुद्धि पूजन’ भी किया।

यह भी पढ़ें:  ब्रेकिंग न्यूज़: हिंदू नाबालिग का धर्म परिवर्तन कर निकाह की कोशिश, पुलिस ने दूल्हे समेत परिवार को पकड़ा

अब आगे क्या?

मामला अब सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। वाराणसी प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन संतों का कहना है कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे गलत तरीके से पेश नहीं किया जाना चाहिए।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News