Uttarakhand News: पिथौरागढ़ के सेराघाट क्षेत्र से एक बराती वाहन चंपावत में खाई में गिर गया। इस दुर्घटना में दूल्हे के चार परिजनों सहित पांच लोगों की मौत हो गई है। घटना बुशैल ग्राम पंचायत के किलौटा गांव से चंपावत के पाटी क्षेत्र के बीच हुई। गुरुवार देर रात वापस लौट रहे वाहन के लापता होने की सूचना मिली थी। हादसे की खबर से शादी का उल्लास मातम में बदल गया।
दूल्हे के गांव के लोग वाहन के न मिलने से चिंतित हो गए थे। अन्य लोग गंगोलीहाट से दुर्घटना स्थल की ओर लौटे। लोहाघाट के बाद वाहन वापसी के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दूल्हे की बहन, बहन का देवर, दूल्हे का भांजा और बहनोई की मौत हो गई। दूल्हे का भाई गंभीर रूप से घायल है और उसका उपचार चल रहा है।
मुख्यमंत्री ने जताया दुख और दिए निर्देश
मुख्यमंत्रीपुष्कर सिंह धामी ने इस दुर्घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने तहसील बाराकोट के पास बागधारा क्षेत्र में हुई दुर्घटना को अत्यंत दुखद बताया। मुख्यमंत्री ने ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति की प्रार्थना की। शोकाकुल परिवारों को इस दुख को सहन करने की शक्ति देने की कामना की।
मुख्यमंत्री धामी ने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना भी की। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को तत्काल आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किए। घायलों के उपचार और आवश्यक सहायता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। स्थानीय प्रशासन ने मृतकों के परिजनों से संपर्क साधा है। आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
दुर्घटना की जानकारी और बचाव अभियान
गुरुवार देर रात वाहन केलापता होने की सूचना मिलने के बाद खोज अभियान शुरू हुआ। स्थानीय निवासियों ने खोजबीन शुरू की। अंधेरे और कठिन इलाके के कारण खोज में दिक्कतें आईं। आखिरकार दुर्घटना स्थल का पता चला। वाहन गहरी खाई में गिरा हुआ मिला। बचाव दलों ने मलबे से शवों को निकाला।
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। घायल को निकटतम स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। वहां से उसे उच्चस्तरीय चिकित्सा के लिए रेफर किया गया। दुर्घटना की जांच के लिए पुलिस ने मामला दर्ज किया। दुर्घटना के सटीक कारणों की पड़ताल की जा रही है। प्रारंभिक जानकारी में वाहन चालक की लापरवाही संभावित कारण बताई जा रही है।
परिवार पर मौत का सदमा और सामुदायिक प्रतिक्रिया
शादीके तुरंत बाद हुई इस दुर्घटना ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है। दूल्हे के परिवार पर एक साथ कई सदस्यों को खोने का दुख टूट पड़ा है। स्थानीय समुदाय ने भी इस दुख में परिवार का साथ दिया है। लोग मृतकों के परिजनों के साथ खड़े दिख रहे हैं। शोक की लहर पूरे इलाके में फैल गई है।
पहाड़ी इलाकों में इस तरह की दुर्घटनाएं चिंता का विषय बनी हुई हैं। संकरी और ऊबड़-खाबड़ सड़कें यातायात के लिए जोखिम पैदा करती हैं। रात के समय दृश्यता कम होने से हादसों की आशंका बढ़ जाती है। स्थानीय लोगों ने सड़क सुरक्षा में सुधार की मांग उठाई है। उनका कहना है कि बचाव दलों की त्वरित पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए।
पहाड़ी इलाकों में सड़क सुरक्षा की चुनौतियां
उत्तराखंड केपहाड़ी क्षेत्रों में सड़क दुर्घटनाएं एक गंभीर समस्या हैं। ऊंचाई वाले और दुर्गम इलाकों में सड़क निर्माण चुनौतीपूर्ण है। संकरी सड़कें, तीखे मोड़ और खड़ी ढलान दुर्घटना के जोखिम बढ़ाते हैं। रात के समय अधिकांश सड़कों पर पर्याप्त रोशनी नहीं होती। यह स्थिति वाहन चालकों के लिए मुश्किलें पैदा करती है।
मौसम की स्थिति भी सड़क सुरक्षा को प्रभावित करती है। कोहरा, बारिश और बर्फबारी दृश्यता घटाती है। सड़कों पर पत्थर गिरने की घटनाएं भी आम हैं। वाहन चालकों को इन परिस्थितियों में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। गति सीमा का पालन करना और वाहन की तकनीकी स्थिति ठीक रखना जरूरी है। प्रशासन को भी सड़क सुरक्षा उपायों को मजबूत करना चाहिए।
आपातकालीन सेवाओं की तैयारियों पर सवाल
पहाड़ीइलाकों में आपातकालीन सेवाओं की पहुंच एक चुनौती है। दुर्गम स्थानों पर बचाव दलों का पहुंचना मुश्किल होता है। चिकित्सा सुविधाओं की कमी भी एक बड़ी समस्या है। आपात स्थिति में घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाना कठिन होता है। इससे जानमाल का नुकसान बढ़ जाता है।
स्थानीय लोगों ने आपातकालीन सेवाओं को मजबूत करने की मांग की है। हेलीकॉप्टर बचाव सेवाओं को और सक्षम बनाने की जरूरत है। दुर्गम इलाकों में एंबुलेंस की व्यवस्था सुधारनी चाहिए। स्वास्थ्य केंद्रों को आधुनिक उपकरणों से लैस करना चाहिए। प्रशिक्षित बचाव कर्मियों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। ये उपाय भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं के प्रभाव को कम कर सकते हैं।
