Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के एक जिले में कम उम्र की लड़कियों के घर छोड़कर चले जाने के मामले चिंता का विषय बन गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां हर दिन आठ से दस लड़कियां बिना कुछ बताए अपने घरों से दूर चली जाती हैं। इनमें नाबालिग किशोरियां और युवतियां दोनों शामिल हैं। पुलिस के आंकड़े इस गंभीर समस्या की पुष्टि करते हैं।
सितंबर महीने में अकेले इस जिले के विभिन्न पुलिस थानों में 164 ऐसी शिकायतें दर्ज हुईं। ये शिकायतें 13 से 25 वर्ष की आयु की लड़कियों के घर से गायब होने की थीं। पुलिस ने इन सभी मामलों में मुकदमे दर्ज करके तलाशी अभियान शुरू किया। इसके बाद 133 लड़कियों को विभिन्न राज्यों से ढूंढकर वापस लाया गया।
जांच में पता चला कि ज्यादातर लड़कियां अपने परिचित युवकों के साथ ही घर से गई थीं। कुछ लड़कियां तो महज तीन से छह महीने पहले ही इन युवकों से मिली थीं। वहीं कुछ मामलों में परिचय एक या दो साल पुराना था। जुलाई और अगस्त में भी ऐसे दो से तीन सौ मामले सामने आए थे।
अदालत में रोजाना दर्ज हो रहे हैं कई बयान
घर छोड़कर जाने वाली लड़कियों को ढूंढने के बाद पुलिस एक निश्चित प्रक्रिया अपनाती है। सबसे पहले लड़कियों का मेडिकल परीक्षण कराया जाता है। इसके बाद उनके बयान अदालत में दर्ज किए जाते हैं। पिछले शुक्रवार को 22 लड़कियों के बयान दर्ज हुए थे।
सोमवार को भी 23 लड़कियों ने अदालत में अपने बयान दिए। लगभग हर दिन इसी तरह के दर्जनों बयान दर्ज हो रहे हैं। यह प्रक्रिया लगातार जारी है। अधिकांश लड़कियों ने अदालत में घर वापस न जाने की इच्छा जताई है।
सगाई के दिन ही प्रेमी के साथ भागी युवती
एक हैरान करने वाला मामला तुर्कपट्टी क्षेत्र का सामने आया है। यहां एक युवती अपनी सगाई वाले दिन ही सुबह-सवेरे प्रेमी के साथ घर से चली गई। घर वालों ने बताया कि सगाई की तैयारियां जोरों पर थीं। जब युवती को बुलाने के लिए उसके कमरे में गए तो वह नहीं मिली।
छानबीन में पता चला कि युवती सगाई के लिए रखे गए जेवरात और नकदी भी साथ ले गई है। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। दो महीने बीत जाने के बाद भी युवती और उसके प्रेमी का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। पुलिस की तलाश जारी है।
वन स्टॉप सेंटर में बढ़ रहा है दबाव
घर छोड़कर जाने वाली अधिकांश लड़कियां 18 वर्ष से कम उम्र की हैं। कानूनी प्रक्रिया के तहत उनका मेडिकल परीक्षण कराया जाता है। फिर उन्हें अदालत के सामने पेश किया जाता है। अदालत में उनके बयान दर्ज किए जाते हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ज्यादातर किशोरियों ने अदालत में घर न लौटने की इच्छा व्यक्त की है। उन्होंने अपने परिचित युवकों के साथ ही रहने की बात कही है। ऐसे में कानून के मुताबिक इन लड़कियों को वन स्टॉप सेंटर भेज दिया जाता है।
वन स्टॉप सेंटर में इन दिनों भीड़ बढ़ती जा रही है। उपलब्ध जगह की तुलना में अधिक संख्या में लड़कियों को यहां रखा जा रहा है। इससे सेंटर पर संसाधनों का दबाव बढ़ रहा है। यह स्थिति सामाजिक चिंताओं को और गहरा रही है।
