Uttar Pradesh News: राज्य में मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) ने भयावह रूप ले लिया है। काम के भारी दबाव और मानसिक तनाव के कारण पिछले 12 दिनों में 10 बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) की मौत हो चुकी है। इन आंकड़ों में आत्महत्या के मामले भी शामिल हैं। बरेली में एक अधिकारी की ब्रेन हेमरेज से जान चली गई, जबकि मेरठ में एक कर्मचारी ने जहर खा लिया। उत्तर प्रदेश में चुनावी ड्यूटी का यह दबाव अब जानलेवा साबित हो रहा है।
बरेली और मेरठ में खौफनाक घटनाएं
बरेली में एमबी इंटर कॉलेज के प्रवक्ता अजय अग्रवाल की ड्यूटी से लौटने के बाद मौत हो गई। उनके बेटे ने बताया कि वे स्मार्ट फोन चलाने में सक्षम नहीं थे। इसके बावजूद उन पर ऑनलाइन डाटा फीडिंग का दबाव बनाया जा रहा था। वे अधिकारियों के व्यवहार से बेहद तनाव में थे। वहीं, मेरठ में सिंचाई विभाग के क्लर्क मोहित कुमार ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की। उनकी पत्नी ने आरोप लगाया कि अफसरों ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया था। उन्हें बिना ट्रेनिंग के काम पर भेजा गया था।
शिक्षिका ने दी आत्महत्या की चेतावनी
बुलंदशहर में एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका ने काम के बोझ से परेशान होकर आत्महत्या की धमकी दी है। उन्होंने व्हाट्सएप पर लिखा कि अधिकारी बार-बार अपने निर्देश बदल रहे हैं। पहले फॉर्म बांटने को कहा गया और अब ऑनलाइन अपलोडिंग का दबाव डाला जा रहा है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में कर्मचारी इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
इन जिलों में भी गई जान
इस अभियान के दौरान राज्य के अलग-अलग हिस्सों में कई दुखद घटनाएं घटी हैं। मरने वालों में शिक्षक, लेखपाल और अन्य कर्मचारी शामिल हैं। प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं:
- हाथरस: ड्यूटी पर जाते समय एक सरकारी शिक्षक की मौत हो गई।
- मुरादाबाद: सहायक शिक्षक सर्वेश सिंह ने सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने डिजिटल काम के तनाव का जिक्र किया था।
- फतेहपुर: लेखपाल सुधीर कुमार ने अपनी शादी से ठीक एक दिन पहले जान दे दी। उन्हें नौकरी से निकालने की धमकी मिली थी।
- गोंडा: सहायक शिक्षक विपिन यादव ने जहर खा लिया।
इसके अलावा बिजनौर, लखनऊ और देवरिया में भी ड्यूटी के दौरान कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ने से मौत हुई है। उत्तर प्रदेश के कर्मचारी संगठनों में इन घटनाओं को लेकर गहरा रोष व्याप्त है।
