World News: अमेरिकी कांग्रेस में पेश एक रिपोर्ट ने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर नई बहस छेड़ दी है। यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मई में हुए सैन्य संघर्ष में पाकिस्तान को भारत पर बढ़त मिली थी। इस रिपोर्ट ने भारतीय विपक्ष को सरकार पर सवाल उठाने का मौका दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार चार दिन तक चले इस संघर्ष में पाकिस्तानी सेना का पलड़ा भारी रहा। दस्तावेज के 108 और 109वें पृष्ठ पर चीन की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि चीन ने इस संघर्ष का फायदा उठाकर अपने हथियारों का परीक्षण और प्रचार किया।
चीन पर लगे गंभीर आरोप
अमेरिकी रिपोर्ट में चीन पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। दावा किया गया है कि चीन ने फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट और एआई जनरेटेड तस्वीरों के जरिए दुष्प्रचार अभियान चलाया। इसका उद्देश्य फ्रांसीसी रफाल विमानों को बदनाम करना और अपने जे-35 लड़ाकू विमानों को बढ़ावा देना था। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सेना की सफलता में चीन के हथियारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
भारत का दावा और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस सैन्य संघर्ष के दौरान भारत ने अपनी सफलता का दावा किया था। भारतीय सेना का कहना था कि उसने पाकिस्तानी सीमा में स्थित कई आतंकी ढांचों को नष्ट कर दिया। अमेरिकी रिपोर्ट आने के बाद भारतीय विपक्ष सरकार के बयानों पर सवाल उठा रहा है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सरकार से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा है।
रिपोर्ट के अंतरराष्ट्रीय निहितार्थ
यह रिपोर्ट क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नए सवाल खड़े करती है। अमेरिकी संसद में पेश इस दस्तावेज में चीन-पाकिस्तान सैन्य सहयोग के विस्तार पर चिंता जताई गई है। विश्लेषकों का मानना है कि इस रिपोर्ट का असर भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी पर भी पड़ सकता है। सैन्य संघर्ष के दौरान तकनीकी क्षमताओं का मूल्यांकन भी रिपोर्ट का हिस्सा है।
सूचना युद्ध की नई चुनौतियां
रिपोर्ट में सूचना युद्ध की नई चुनौतियों की ओर भी ध्यान दिलाया गया है। एआई जनरेटेड सामग्री और फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट के इस्तेमाल ने संघर्ष की प्रकृति बदल दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी तकनीकों से भविष्य में सैन्य संघर्ष और जटिल हो सकते हैं। रिपोर्ट में इन खतरों से निपटने के लिए मजबूत उपायों की सिफारिश की गई है।
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर प्रभाव
इस रिपोर्ट का भारत-पाकिस्तान संबंधों पर तत्काल प्रभाव देखने को मिल सकता है। दोनों देशों के बीच तनाव पहले से ही बना हुआ है। अमेरिकी रिपोर्ट में किए गए दावे द्विपक्षीय वार्ता की संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं। सीमा सुरक्षा और आतंकवाद रोकथाम जैसे मुद्दों पर चल रही बातचीत भी प्रभावित हो सकती है। दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के प्रयासों पर इसके गहरे प्रभाव की आशंका है।
