New Delhi: संघ लोक सेवा आयोग ने अपनी परीक्षा प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि अब वह सिविल सेवा प्रीलिम्स परीक्षा के तुरंत बाद उत्तर कुंजी जारी करेगा। यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले में दाखिल हलफनामे में सामने आई है।
हिमांशु कुमार बनाम भारत सरकार के मामले में यूपीएससी ने यह अहम जानकारी दी। 2024 में हिमांशु कुमार और विदुषी पांडे समेत 17 अभ्यर्थियों ने यह याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ताओं ने आयोग पर आरोप लगाया था कि वह प्रीलिम्स के बाद उत्तर कुंजी तुरंत सार्वजनिक नहीं करता।
याचिकाकर्ताओं की थी यह मांग
याचिका में कहा गया था कि यूपीएससी की वर्तमान नीति अभ्यर्थियों के साथ अन्याय करती है। यह पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। उत्तर कुंजी और कट ऑफ समय पर जारी न होने से उम्मीदवार मूल्यांकन के आधार को नहीं जान पाते।
इससे वह मूल्यांकन में हुई किसी त्रुटि पर आपत्ति दर्ज कराने का मौका खो देते हैं। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि यूपीएससी की व्यवस्था लाखों अभ्यर्थियों को अंधेरे में रखती है। सुप्रीम कोर्ट की पी एस नरसिम्हा और जोयमाल्या बागची की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
नई प्रक्रिया के मुख्य बिंदु
यूपीएससी के हलफनामे के अनुसार प्रीलिम्स परीक्षा के बाद अस्थायी उत्तर कुंजी प्रकाशित की जाएगी। उम्मीदवार किसी उत्तर पर आपत्ति दर्ज करा सकेंगे। आपत्ति दर्ज करते समय तीन प्रामाणिक स्रोतों का हवाला देना जरूरी होगा।
बिना स्रोत के दर्ज की गई आपत्तियों को प्रारंभिक चरण में ही खारिज कर दिया जाएगा। आयोग के विशेषज्ञ यह तय करेंगे कि अभ्यर्थी द्वारा प्रस्तुत स्रोत आधिकारिक है या नहीं। विषय विशेषज्ञों द्वारा तय किए गए उत्तर परीक्षा परिणाम का आधार बनेंगे।
अंतिम उत्तर कुंजी का प्रकाशन परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद किया जाएगा। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह नई कार्यप्रणाली पर जल्द से जल्द अमल शुरू करना चाहता है। इस कदम से याचिका में उठाई गई शिकायतों का निवारण हो जाएगा।
कोर्ट ने अपनी सहायता के लिए वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था। एमिकस ने भी याचिकाकर्ताओं की बात को सही ठहराया था। इसके बाद यूपीएससी ने हलफनामा दाखिल कर परीक्षा प्रक्रिया में बदलाव की बात कही।
