Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया ने तेज गति पकड़ ली है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि अब तक 9.41 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्रों का डिजिटाइजेशन पूरा हो चुका है, जो कुल लक्ष्य का लगभग 61 प्रतिशत है। प्रदेश के 5123 मतदान केंद्रों पर शत-प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिया गया है। आयोग ने 4 दिसंबर को प्रक्रिया की अंतिम तिथि निर्धारित की है, जिसके मद्देनजर कम प्रगति वाले बूथों पर अतिरिक्त कार्मिक तैनात किए जा रहे हैं।
दो जगह नाम दर्ज मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण निर्देश
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जिन मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में एक से अधिक स्थानों पर दर्ज है, उन्हें केवल उसी पते पर फॉर्म भरना चाहिए जहां वे सामान्यतः निवास करते हैं। ऐसे मतदाताओं को एक से अधिक पतों पर प्राप्त हुए गणना प्रपत्रों में से केवल मौजूदा निवास स्थान वाला फॉर्म भरकर, उस पर नवीनतम फोटो चिपकाकर अपने बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को जल्द से जल्द जमा करना होगा।
इतने कर्मियों की लगाई गई है तैनाती
इस विशालकाय प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रशासन ने बड़ी संख्या में कर्मियों की तैनाती की है। एसआईआर प्रक्रिया में राज्य भर में 1,62,486 बीएलओ, 16 हजार से अधिक सुपरवाइजर, 2 हजार से ज्यादा एईआरओ, 403 ईआरओ और 75 जिला निर्वाचन अधिकारी लगे हैं। इनके अलावा, राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 4,41,582 बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) तथा नगर निकायों के कार्मिक एवं स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग भी प्रक्रिया को गति दे रहा है।
पात्र मतदाताओं को सूची में दर्ज कराने के दिए निर्देश
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे पात्र मतदाताओं को चिन्हित कर उनके नाम मतदाता सूची में अवश्य दर्ज कराएं। अब प्रक्रिया के समापन में मात्र पांच दिन शेष रहने के कारण संग्रह और डिजिटाइजेशन के कार्य में तेजी लाने पर जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में, कम प्रगति दर्ज करने वाले मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त दक्ष कार्मिकों की तैनाती का भी आदेश दिया गया है ताकि समयसीमा के भीतर लक्ष्य हासिल किया जा सके।
राजनीतिक दलों ने उठाए सवाल
एसआईआर की इस प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दलों ने आरोप लगाया है कि एसआईआर के नाम पर विपक्ष के वोट काटे जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, प्रदेश में कुछ बीएलओ की मौतों का मुद्दा भी विवादों में घिर गया है। विपक्ष लगातार इस मामले को उठाते हुए चुनाव आयोग और राज्य सरकार पर निशाना साध रहा है, जिससे यह प्रक्रिया राजनीतिक बहस के केंद्र में आ गई है।
निर्धारित है यह समयसीमा
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी समयसीमा के अनुसार, घर-घर जाकर गणना प्रपत्र एकत्र करने का कार्य 4 दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके पश्चात, 9 दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। मतदाताओं को दावे और आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 9 दिसंबर से 8 जनवरी तक का समय मिलेगा। संशोधित अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी, 2026 को जारी की जानी तय हुई है, जो आगामी चुनावों के लिए आधारभूत दस्तावेज का काम करेगी।
