शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

यूपी एटीएस: कासना प्रिंटिंग प्रेस में आयुर्वेदिक दवा की आड़ में छप रही थीं भड़काऊ किताबें, विदेशी भी ठहरते थे

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Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश एटीएस ने ग्रेटर नोएडा के कासना औद्योगिक क्षेत्र में एक प्रिंटिंग प्रेस पर बड़ा खुलासा किया है। आरोप है कि यहां आयुर्वेदिक दवाओं और वाटर प्यूरीफायर के कारोबार के पर्दे में धार्मिक वैमनस्य फैलाने वाली किताबों का अवैध प्रकाशन हो रहा था। इसके साथ ही, परिसर में बने गेस्ट हाउस में बिना सूचना दर्ज कराए विदेशी नागरिकों को ठहराया जाता था। मुख्य आरोपी फरहान नबी सिद्दीकी को एटीएस ने गिरफ्तार किया है।

जांच में पता चला है कि प्रिंटिंग प्रेस परिसर के सबसे पिछले हिस्से में स्थित थी। इस हिस्से में केवल चुनिंदा और विश्वसनीय कर्मचारियों को ही जाने की अनुमति थी। परिसर में सुरक्षा के लिए तैनात गार्ड को भी प्रेस वाले हिस्से में प्रवेश नहीं था। बाहरी लोगों को भ्रमित करने के लिए प्रवेश द्वार पर आरओ बेचे जाने का बोर्ड लगा हुआ था।

आरोपी फरहान अपने साथी नासी तोर्बा के साथ मिलकर कई कंपनियों का संचालन करता था। इन कंपनियों के माध्यम से विदेशों से हवाला और अन्य जरियों से फंडिंग प्राप्त की जाती थी। जांच एजेंसियों का अनुमान है कि इस पूरे नेटवर्क के लिए विदेश से करीब 11 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई गई थी।

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विदेशी मेहमानों की होती थी आवभगत

प्रिंटिंग प्रेस वालीइमारत के दूसरे तल पर एक गेस्ट हाउस बना हुआ था। इस गेस्ट हाउस में तुर्की, जर्मनी और बांग्लादेश जैसे देशों से आने वाले लोग ठहरते थे। इन विदेशियों की देखभाल और आवभगत की जिम्मेदारी सीधे तौर पर आरोपी फरहान और उसके कुछ विश्वसनीय सहयोगियों के पास थी। पुलिस को इन विदेशियों के आने-जाने की कोई सूचना नहीं दी जाती थी।

ऑनलाइन और ऑफलाइन होती थी किताबों की डिलीवरी

प्रिंटिंग प्रेस मेंभड़काऊ सामग्री से भरी किताबों का प्रकाशन ऑर्डर के आधार पर किया जाता था। जब किसी गंतव्य के लिए पांच से छह सौ किताबों का ऑर्डर मिलता था, तो उन्हें टेंपो या निजी वाहनों के जरिए पहुंचाया जाता था। इसके अलावा ऑनलाइन माध्यम से भी किताबों की डिलीवरी की जा रही थी। इस पूरी प्रक्रिया को बेहद गोपनीय तरीके से अंजाम दिया जाता था।

दिल्ली धमाकों से जोड़कर चल रही है जांच

इस मामलेकी जांच दिल्ली में हुए कुछ धमाकों से जोड़कर भी की जा रही है। इसी कड़ी में यूपी एटीएस की टीम ने मंगलवार रात को दोबारा कासना स्थित प्रिंटिंग प्रेस का निरीक्षण किया। टीम ने वहां मौजूद कुछ कर्मचारियों से पूछताछ भी की। इस दौरान स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंच गई, लेकिन एटीएस ने उन्हें मामले की कोई जानकारी नहीं दी।

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जमीन खरीदने के बाद साल 2019 में इस परिसर के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के नाम पर जीएसटी नंबर लिया गया था। इससे व्यवसाय के वास्तविक स्वरूप को छुपाने में मदद मिलती थी। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या आरोपियों ने आसपास के इलाकों में मस्जिद या मदरसे के नाम पर कोई जमीन भी खरीदी थी। हालांकि, अभी तक ऐसी किसी जमीन की खरीदारी की पुष्टि नहीं हुई है।

यूपी एटीएस लगातार इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। संभावना जताई जा रही है कि यह नेटवर्क काफी बड़ा है और देश के विभिन्न हिस्सों में फैला हुआ हो सकता है। आरोपी फरहान से लगातार पूछताछ की जा रही है ताकि इसके सभी सहयोगियों और वित्तीय स्रोतों का पता लगाया जा सके।

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