India News: अब आपको अनजान नंबरों से आने वाली कॉल पर कॉलर का असली नाम दिखेगा। दूरसंचार विभाग ने कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सेवा का ट्रायल शुरू कर दिया है। इस सुविधा के तहत फोन करने वाले का रजिस्टर्ड नाम आपकी मोबाइल स्क्रीन पर प्रदर्शित होगा। फर्जी कॉल और स्कैम से निपटने के लिए यह बड़ा कदम माना जा रहा है।
हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में इस सेवा का परीक्षण चल रहा है। रिलायंस जियो, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल जैसी कंपनियां हरियाणा में ट्रायल कर रही हैं। एयरटेल ने हिमाचल प्रदेश में इसकी टेस्टिंग शुरू की है। मार्च-अप्रैल तक यह सेवा पूरे देश में लागू होने की उम्मीद है।
कैसे काम करेगी CNAP सुविधा
इस नई प्रणाली में कॉलर का नाम सिम कार्ड रजिस्ट्रेशन के दौरान दर्ज किए गए नाम के आधार पर दिखेगा। यह नाम उस व्यक्ति के मोबाइल फोन की स्क्रीन पर प्रकट होगा जिसे कॉल की जा रही है। इसके लिए कॉल रिसीव करने वाले के फोन में नंबर सेव होना जरूरी नहीं होगा।
स्कैम और स्पैम कॉल रोकने में यह सेवा कारगर साबित हो सकती है। कॉलर की पहचान स्पष्ट होने से लोग अवांछित कॉल को नजरअंदाज कर सकेंगे। धोखाधड़ी वाली कॉल्स में भी significant कमी आने की संभावना है।
टेलीकॉम कंपनियों को दिए आदेश
दूरसंचार विभाग ने सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों को यह सेवा लागू करने के लिए कहा है। कंपनियों को सेवा शुरू करने से पहले प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसी के तहत विभिन्न राज्यों में ट्रायल शुरू किए गए हैं।
यह सेवा लैंडलाइन नंबरों और 2जी नेटवर्क उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध नहीं होगी। only मोबाइल उपयोगकर्ता ही इसका लाभ उठा सकेंगे। टेलीकॉम विभाग जल्द से जल्द इस सेवा को राष्ट्रव्यापी स्तर पर लागू करना चाहता है।
यूजर्स के लिए फायदे
इस नई सुविधा से उपयोगकर्ताओं को कई लाभ मिलेंगे। वे अनजान नंबरों से आने वाली कॉल्स को आसानी से पहचान सकेंगे। स्कैम कॉल्स से बचाव easier हो जाएगा। important कॉल्स को मिस होने से भी रोका जा सकेगा।
बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं से जुड़ी धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है। लोग अब किसी भी अनजान नंबर से आने वाली कॉल पर संदेह कर सकेंगे। इससे उनकी निजी सुरक्षा बढ़ेगी।
टेलीकॉम इंडस्ट्री की तैयारियां
सभी प्रमुख टेलीकॉम ऑपरेटर इस नई सेवा के लिए अपने सिस्टम तैयार कर रहे हैं। उन्हें अपने डेटाबेस में stored सभी उपयोगकर्ताओं के रजिस्टर्ड नामों को इस सिस्टम के साथ integrate करना होगा। technical तैयारियां पूरी की जा रही हैं।
मार्च-अप्रैल तक का समय इसलिए चुना गया है ताकि सभी कंपनियां अपनी तैयारियां पूरी कर सकें। nationwide लेवल पर यह सेवा launch करने से पहले सभी technical aspects का टेस्टिंग जरूरी है। इसके लिए adequate time दिया जा रहा है।
इस नई प्रणाली के आने से टेलीकॉम सेक्टर में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। उपयोगकर्ताओं की privacy और security को बढ़ावा मिलेगा। स्पैम कॉल्स की समस्या से significant राहत मिलने की उम्मीद है।
