शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

अनोखा गांव: यहां दशहरे पर नहीं करते रावण दहन, मानते हैं शिव का सबसे बड़ा भक्त; सोने चांदी की दुकानें भी नहीं

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Kangra News: पूरा देश जहां दो अक्टूबर को विजयादशमी मना रहा है, वहीं हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ कस्बे में सदियों से दशहरा नहीं मनाया जाता। यहां के लोग रावण को भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त मानते हैं। इसलिए वे रावण दहन की परंपरा का पालन नहीं करते।

स्थानीय मान्यता के अनुसार बैजनाथ में ही रावण ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान दिया। इसी कारण यहां के निवासी रावण को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।

रावण दहन को लेकर डर

स्थानीय लोगों के मन में रावण दहन को लेकर गहरा डर बैठा हुआ है। उनका मानना है कि अतीत में जब कभी भी यहां रावण दहन करने की कोशिश हुई, तो दुर्घटना घटित हुई। एक बार जिस व्यक्ति ने रावण जलाया, वह अधिक समय तक जीवित नहीं रहा।

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लोगों की धारणा है कि भगवान शिव के सामने उनके परम भक्त को जलाना अनुचित है। यह भक्ति और श्रद्धा both का अपमान माना जाता है। इसलिए पूरा कस्बा इस दिन शिव भक्ति में लीन रहता है।

सोने की दुकानों का अभाव

बैजनाथ की एक और अनोखी बात यह है कि यहां कोई सुनार की दुकान नहीं है। सोने-चांदी के आभूषण खरीदने के लिए लोगों को पास के बाजारों का रुख करना पड़ता है। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है।

मान्यता है कि भगवान शिव ने रावण की सोने की लंका की पूजा की थी। पूजा में सुनार और विश्वकर्मा उपस्थित थे। शिव ने लंका रावण को दान कर दी, जिससे मां पार्वती क्रोधित हो गईं। उन्होंने सुनार और विश्वकर्मा को श्राप दे दिया।

अनूठी परंपरा का निर्वहन

बैजनाथ के लोग सदियों से इस परंपरा का पालन करते आ रहे हैं। त्योहार के दिन पूरा कस्बा सामान्य दिनों की तरह ही रहता है। यहां न तो रावण के पुतले जलाए जाते हैं और न ही कोई विशेष आयोजन होता है।

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स्थानीय निवासी इस परंपरा को गर्व के साथ निभाते हैं। उनका मानना है कि भक्ति का सम्मान सबसे महत्वपूर्ण है। यह परंपरा उनकी धार्मिक मान्यताओं की अभिव्यक्ति है।

देशभर में विविध परंपराएं

भारत विविधताओं का देश है, जहां दशहरा मनाने के तरीके अलग-अलग हैं। कुछ स्थानों पर रावण को दामाद माना जाता है तो कहीं भक्त। बैजनाथ की यह परंपरा इसी सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है।

यहां की मान्यताएं स्थानीय पौराणिक कथाओं पर आधारित हैं। लोग इन्हें पीढ़ी-दर-पीढ़ी संजोए हुए हैं। इस अनूठी परंपरा ने बैजनाथ को देशभर में विशेष पहचान दिलाई है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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