Himachal News: सिरमौर जिले में दो भाइयों ने एक अनोखी शादी करके सबका ध्यान खींचा है। उन्होंने पारंपरिक रीति-रिवाजों को छोड़कर भारतीय संविधान को अपना साक्षी माना। इस शादी में न तो फेरे लिए गए, न पंडित थे और न ही सात वचन पढ़े गए। यह शादी 26 अक्टूबर को शिलाई विधानसभा क्षेत्र के नैनीधार के कलोग गांव में संपन्न हुई। दोनों भाइयों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों से प्रेरणा लेकर यह कदम उठाया।
सुनील कुमार और विनोद कुमार नाम के इन दोनों भाइयों ने अपनी शादी को एक सामाजिक सुधार का माध्यम बनाया। उनका मानना है कि विवाह दो दिलों का मेल है और इसमें जटिल रस्मों की कोई आवश्यकता नहीं होती। दोनों भाई सरकारी नौकरी में हैं और सामाजिक बदलाव के प्रति समर्पित हैं। उन्होंने इस अवसर पर एक नया उदाहरण पेश किया है।
विवाह समारोह में वरमाला के बाद दोनों जोड़ों ने संविधान की प्रति के सामने शपथ ली। उन्होंने जीवनभर साथ रहने और एक-दूसरे का सम्मान करने का वादा किया। इसके बाद उन्होंने परिवार के बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त किया। सुनील कुमार ने रितु से और विनोद कुमार ने रीना वर्मा से विवाह किया। यह पूरा कार्यक्रम सादगी और खुशी के माहौल में संपन्न हुआ।
स्थानीय लोगों ने इस अनूठे विवाह को भरपूर सराहा। गांव के बड़ी संख्या में लोगों ने इसमें हिस्सा लिया और नवविवाहित जोड़ों को शुभकामनाएं दीं। लोगों का मानना था कि यह कदम युवाओं के लिए एक नई राह दिखाता है। यह घटना सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक सार्थक पहल साबित हो सकती है।
इस शादी के आमंत्रण पत्र पर भी डॉ. अंबेडकर और महात्मा बुद्ध की तस्वीरें छपी थीं। इससे उनकी विचारधारा की झलक साफ दिख रही थी। दोनों परिवारों ने इस नए तरीके का पूरा समर्थन किया। उन्होंने बारात और अन्य स्थानीय रीति-रिवाजों को भी सादगी के साथ निभाया।
पहले भी चर्चा में रही है सिरमौर की अनोखी शादियां
इससे पहले भी सिरमौर जिला सुर्खियों में रह चुका है। जुलाई महीने में शिलाई गांव में एक दुल्हन ने दो भाइयों से विवाह किया था। यह शादी हाटी समुदाय की बहुपति परंपरा के अनुसार हुई थी। प्रदीप नेगी और कपिल नेगी ने सुनीता चौहान के साथ विवाह बंधन में बंधे थे। उस मौके पर भी पूरे समुदाय ने इसका समर्थन किया था।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि समाज में परंपराओं के प्रति नजरिया बदल रहा है। लोग अब नए और सार्थक तरीके अपना रहे हैं। यह बदलाव समय की मांग के अनुरूप भी है। सुनील और विनोद जैसे युवा इस बदलाव के अग्रदूत साबित हो रहे हैं। उनकी इस पहल को दूर-दूर तक सराहा जा रहा है।
दोनों भाइयों ने स्पष्ट किया कि वे भविष्य में भी सामाजिक सुधार के लिए काम करते रहेंगे। वे चाहते हैं कि और युवा रूढ़िवादी परंपराओं से आगे बढ़कर सोचें। उनका यह कदम निश्चित रूप से एक मिसाल कायम करेगा। इससे लोगों को अपने महत्वपूर्ण फैसले स्वतंत्रता से लेने की प्रेरणा मिलेगी।
यह विवाह केवल एक व्यक्तिगत घटना नहीं है। यह समाज में व्याप्त बदलाव का संकेत देती है। जब शिक्षित युवा आगे आकर नए रास्ते बनाते हैं तो समाज प्रगति करता है। सिरमौर के इन दोनों भाइयों ने यह साबित कर दिया है कि सकारात्मक बदलाव संभव है। उनकी इस साहसिक पहल के लिए उन्हें बधाई दी जानी चाहिए।
