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गुरूवार, जून 1, 2023
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ऊना का आयुर्वेदिक अस्पताल जूझ रहा स्टाफ की कमी से, 30 बेड के हॉस्पिटल में सिर्फ दो डाक्टर और तीन नर्सें

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Una News: जिला आयुर्वेदिक अस्पताल ऊना वर्षो से स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। 30 बेड का अस्पताल केवल मात्र दो चिकित्सकों व तीन नर्सों के सहारे चल रहा है, जबकि स्वास्थ्य विभाग के नियमों के अनुसार अस्पताल में पांच चिकित्सकों की तैनाती जरूरी है। अस्पताल में केवल दो चिक्तिसक होने के चलते नाइट ड्यूटी पर कोई चिकित्सक नहीं होता है तथा केवल नर्स के सहारे रात को अस्पताल चलता है।

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आयुर्वेदिक अस्पताल में क्षारसूत्र चिक्तिसक तो तैनात है, लेकिन इसके लिए कोई अलग से स्टाफ नहीं है और चिकित्सक अकेले ही बिना ओटी असिस्टेंट के ऑपरेशन करते हैं। आयुर्वेदिक अस्पताल में रोजाना 125 से 130 ओपीडी रहती है, जबकि इसके अलावा अस्पताल में 10 से 15 इनडोर पेशेंट भी हर समय एडमिट रहते हैं। इनकी देखभाल करने के लिए स्टाफ नर्स भी कम है। एक समय में एक ही नर्स 30 बेड की देखरेख करती है।

स्टाफ की कमी के चलते मरीजों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, तो वहीं स्टाफ नर्स पर भी काम का अतिरिक्त बोझ होने के चलते मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है। अस्पताल में स्वीकृत चार नर्स की पोस्ट में से अभी तीन ही तैनात हैं, जबकि एक नर्स डेपुटेशन पर चल रही है।

तीन नर्सों में भी एक स्टाफ व दो एएनएम हैं। अस्पताल में दो चिक्तिसक तैनात हंै। ये चिकित्सक क्षारसूत्र के अलावा बबासीर, भगंदर, फिशर, रैक्टल पोलिपस के ऑपरेशन करते हैं। मात्र दो चिकित्सक होने के कारण एक माह में 10 से 15 आपरेशन ही हो रहे हैं, जबकि रोजाना दर्जनों बबासीर के मरीजों को भी चैक करते हैं। ऑपरेशन के बाद भी मरीज को कम से कम दस दिन अस्पताल में भर्ती रखना पड़ता है। उनकी देखभाल के लिए स्टाफ भी चाहिए।

बता दें कि करीब 20 वर्ष पहले 17 अक्तुबर, 2002 को जिला आयुर्वेद चिकित्सक का भवन तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने जनता को समर्पित किया था। तब यह भवन दस बैड का था, जिसके लिए स्टाफ भी तैनात किया गया। इसके बाद आयुर्वेद विभाग के द्वितीय चरण का कार्य शुरू हुआ था, जिसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 10 नवंबर, 2013 को किया था। इसमें अस्पताल को दर्जा दस बेड से बढ़ाकर तीस बेड कर दिया गया। इसके बाद सरकार ने अस्पताल में बेड तो बढ़ाए, लेकिन स्टाफ बढ़ाने में कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई। इससे मरीजों को दिक्कत होती है। अस्पताल में दाखिल मरीज उपचार के लिए आते हैं, लेकिन स्टाफ की कमी से इनको उचित केयर नहीं मिल पा रही है।

हिमकेयर-आयुष्मान कार्डधारकों को भी हो रही परेशानियां

जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में आऊटसोर्स पर तैनात डाटा ऑपेरटर के छुट्टी पर चले जाने से हिमकेयर व आयुष्मान कार्ड का कार्य प्रभावित हुआ है। इससे रोगियों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही है। आउटसोर्स कंपनी छुट्टी पर गए आपरेटर के स्थान पर किसी अन्य को तैनात नहीं कर पाई है। अस्पताल में आरकेएस व आरएसबीवाई का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। अब चिकित्सकों, नर्सों व अन्य स्टाफ को इस कार्य के लिए कागजों में उलझना पड़ रहा है। स्टाफ की कमी के चलते आयुर्वेद की मुख्य धारा माने जाने वाला पंचकर्मा केंद्र भी प्रभावित है। यहां पर मेल पेशेंट थेरेपिस्ट केवल एक है, जिसके चलते कार्य प्रभावित होता है।

अस्पताल कें स्टाफ की कमी का मामला ध्यान में है। इसके लिए रिपोर्ट उच्चाधिकारियों व सरकार को भेजी गई है। फिलहाल अस्पताल में मरीजों की हर सुविधा का ध्यान रखा जाता है

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