UK News: ब्रिटेन में माइटोकॉन्ड्रियल दान तकनीक से आठ स्वस्थ शिशुओं का जन्म हुआ। न्यूकैसल यूनिवर्सिटी की टीम ने यह सफलता हासिल की। यह तकनीक माताओं से बच्चों में गंभीर अनुवांशिक रोगों को रोकती है। 22 महिलाओं पर इस IVF तकनीक का उपयोग किया गया। सभी शिशु सामान्य विकास दिखा रहे हैं। यह तकनीक 2015 में कानूनी मंजूरी के बाद लागू हुई। तीन शिशुओं में मामूली स्वास्थ्य समस्याएं थीं, जो ठीक हो गईं।
तकनीक का कार्य और प्रभाव
माइटोकॉन्ड्रियल दान में माता-पिता का न्यूक्लियर डीएनए और डोनर का स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए उपयोग होता है। न्यूकैसल की टीम ने प्रोन्यूक्लियर ट्रांसफर तकनीक अपनाई। माता के दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रिया को डोनर के स्वस्थ माइटोकॉन्ड्रिया से बदला जाता है। इससे लेह सिंड्रोम जैसे रोग रोके जाते हैं। आठ में से पांच शिशुओं में कोई दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रिया नहीं मिला। तीन शिशुओं में इसका स्तर कम था। यह तकनीक अनुवांशिक रोगों से मुक्ति दिलाती है।
कानूनी और नैतिक बहस
2015 में ब्रिटेन की संसद ने माइटोकॉन्ड्रियल दान को मंजूरी दी थी। इस दौरान इसकी प्रभावशीलता और नैतिकता पर सवाल उठे। कुछ विशेषज्ञों ने पारदर्शिता की कमी पर चिंता जताई। न्यूकैसल यूनिवर्सिटी को 2017 में लाइसेंस मिला। 32 महिलाओं को मंजूरी दी गई, लेकिन 22 ने ही उपचार लिया। शिशुओं का स्वास्थ्य सामान्य है। दीर्घकालिक निगरानी जरूरी है। तकनीक की सफलता ने अन्य देशों का ध्यान खींचा है।
चुनौतियां और भविष्य
माइटोकॉन्ड्रियल दान की सफलता के बावजूद कुछ शिशुओं में दोषपूर्ण माइटोकॉन्ड्रिया की थोड़ी मात्रा पाई गई। वैज्ञानिक इसे और बेहतर करने पर काम कर रहे हैं। न्यूकैसल की टीम बच्चों की निगरानी कर रही है। यह तकनीक केवल गंभीर अनुवांशिक रोगों के लिए है। अन्य देशों में यह प्रतिबंधित है। ब्रिटेन की सख्त नियामक व्यवस्था इसे सुर SURE बनाती है। शोधकर्ता भविष्य में और सुधार की उम्मीद कर रहे हैं।
