New Delhi: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने एक बड़ी कार्रवाई की घोषणा की है। यूआईडीएआई ने सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए 1.4 करोड़ से अधिक मृत व्यक्तियों के आधार नंबर निष्क्रिय कर दिए हैं। यह अभियान पिछले साल शुरू किया गया था और इसका मुख्य लक्ष्य सरकारी लाभों का गलत हाथों में जाना रोकना है।
प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भुवनेश कुमार ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस कदम से कल्याणकारी योजनाओं में होने वाली धोखाधड़ी पर प्रभावी रोक लगेगी। साथ ही सरकारी धन के दुरुपयोग को भी रोका जा सकेगा। यह पहल वास्तविक लाभार्थियों तक सहायता पहुंचाने में मदद करेगी।
दिसंबर तक का लक्ष्य
वर्तमान में देश भर में लगभग 3,300 सरकारी योजनाएं आधार से जुड़ी हुई हैं। यूआईडीएआई ने इस साल दिसंबर तक लगभग 2 करोड़ मृत व्यक्तियों के आधार नंबर निष्क्रिय करने का लक्ष्य रखा है। यह बड़ी कार्रवाई सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता को मजबूत करेगी।
इस अभियान की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि कई मामलों में मृत व्यक्तियों के नाम पर सरकारी लाभ जारी रहने की घटनाएं सामने आई थीं। प्राधिकरण लोगों से अपील करता है कि वे मृत्यु की जानकारी माईआधार पोर्टल पर तुरंत अपडेट करें।
मुख्य चुनौतियां
इस प्रक्रिया में सबसे बड़ी चुनौती मृत्यु पंजीकरण के दौरान आधार नंबर का अनिवार्य न होना है। कई बार मृत्यु प्रमाण पत्र पर आधार नंबर गलत या अधूरा दर्ज होता है। इससे डेटा का सत्यापन करना मुश्किल हो जाता है।
विभिन्न वित्तीय और गैर-वित्तीय संस्थानों के बीच डेटा के समन्वय का अभाव भी एक बाधा है। यूआईडीएआई इन मुद्दों के समाधान के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। संस्थानों के बीच बेहतर डेटा साझाकरण पर जोर दिया जा रहा है।
भविष्य की योजना
सीईओ भुवनेश कुमार के अनुसार सटीक और अद्यतन आधार डेटा लाभार्थियों के अधिकारों की सुरक्षा करेगा। साथ ही यह भारत की डिजिटल पहचान प्रणाली को और मजबूती प्रदान करेगा। इससे डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
यह पहल सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा। आधार प्रणाली की दक्षता और विश्वसनीयता में सुधार होगा।
