शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

UGC ने 54 निजी विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित किया, एमिटी समेत इन संस्थानों पर गिरी गाज

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New Delhi News: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने 54 निजी विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित किया है। इनमें एमिटी यूनिवर्सिटी जैसे बड़े नाम शामिल हैं। UGC ने इन संस्थानों पर अपनी आधिकारिक वेबसाइटों पर जरूरी जानकारी नहीं डालने का आरोप लगाया है। इस कारण छात्रों और अभिभावकों को पारदर्शी जानकारी नहीं मिल पा रही थी। आयोग ने इन सभी विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी किया है।

यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार, हर विश्वविद्यालय को ‘सेल्फ पब्लिक डिस्क्लोजर’ करना अनिवार्य है। इस नियम के तहत संस्थानों को अपनी वेबसाइट पर पाठ्यक्रम, फीस, फैकल्टी और शोध जैसी महत्वपूर्ण जानकारी सार्वजनिक करनी होती है। इसका मुख्य उद्देश्य शैक्षणिक प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और छात्रों को सही निर्णय लेने में मदद करना है।

कई चेतावनियों के बाद जारी किया नोटिस

यूजीसी ने बताया कि इस सूची में शामिल विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी करने से पहले कई बार चेतावनी दी गई थी। आयोग ने इन संस्थानों को पत्र और ई-मेल के माध्यम से कई बार सूचित किया। लेकिन उनकी ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद ही इन्हें डिफॉल्टर की सूची में शामिल करने का कड़ा फैसला लिया गया।

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नोटिस मिलने के बाद अब इन विश्वविद्यालयों के पास अपनी वेबसाइट पर सभी जानकारी अपलोड करने का एक मौका है। साथ ही, उन्हें यह जानकारी यूजीसी को भी भेजनी होगी। कुछ विश्वविद्यालयों ने कहा है कि वे जल्द ही इस नियम का पालन करेंगे और जानकारी उपलब्ध कराएंगे।

इन राज्यों के विश्वविद्यालय हैं शामिल

इस डिफॉल्टर सूची में देश के 18 से अधिक राज्यों के निजी विश्वविद्यालय शामिल हैं। इनमें गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य प्रमुख हैं। सूची में उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, असम, गोवा, मणिपुर, सिक्किम और त्रिपुरा के संस्थान भी हैं।

बड़े और जाने-माने संस्थानों में एमिटी यूनिवर्सिटी, डॉ सीवी रमन यूनिवर्सिटी, अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी और डॉ डीवाई पाटिल यूनिवर्सिटी जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा ज्ञानवीर यूनिवर्सिटी, एशियन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, मणिपुर इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी भी इस सूची में हैं।

छात्रों के लिए क्यों है जरूरी जानकारी?

यूजीसी का ‘सेल्फ पब्लिक डिस्क्लोजर’ नियम छात्रों के हितों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। जब कोई छात्र या अभिभावक किसी विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने का निर्णय लेता है, तो उसके पास सभी तथ्य होने चाहिए। वेबसाइट पर पाठ्यक्रम, फैकल्टी की योग्यता, फीस संरचना, बुनियादी सुविधाओं और शोध के अवसरों की जानकारी होनी जरूरी है।

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इस जानकारी के अभाव में छात्र गलत निर्णय ले सकते हैं। उन्हें बाद में पछतावा हो सकता है। यूजीसी का यह कदम शिक्षा क्षेत्र में जवाबदेही और खुलापन लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह संस्थानों पर नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए दबाव बनाता है।

आगे की कार्रवाई

अब इन 54 विश्वविद्यालयों को यूजीसी के निर्देशों का पालन करना होगा। उन्हें अपनी वेबसाइटों पर सभी अनिवार्य जानकारियां अपलोड करनी होंगी। यदि कोई संस्थान ऐसा करने में विफल रहता है, तो यूजीसी उनके खिलाफ और कठोर कार्रवाई कर सकता है। इसमें मान्यता रद्द करना भी शामिल हो सकता है।

इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य संस्थानों को अनुशासन में लाना है, न कि उन्हें दंडित करना। यूजीसी चाहता है कि सभी विश्वविद्यालय अपने कार्यों में पारदर्शिता बनाए रखें। इससे देश भर में शिक्षा का स्तर सुधरेगा और छात्रों का भविष्य उज्जवल होगा। संपूर्ण सूची यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर देखी जा सकती है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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