Delhi News: कांग्रेस के दलित नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने सरकारी आवास से अपना सामान बाहर फेंके जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि अदालत में मामला लंबित होने के बावजूद उनके पत्नी के आवास से सामान निकाल दिया गया। उदित राज ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर साझा की जहां घर के बाहर सामान दिख रहा है।
यह आवास नई दिल्ली के पंडारा पार्क इलाके में स्थित है। यह बंगला उदित राज की आईआरएस पत्नी सीमा राज के नाम आवंटित था। आवास निदेशालय ने इस बंगले को खाली कराया है। उदित राज ने इस कार्रवाई को राजनीतिक दबाव बताया।
28 अक्टूबर को होनी थी अदालती सुनवाई
पूर्व सांसद ने बताया कि अदालत में 28 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई तय थी। उन्होंने एक महीने का अतिरिक्त समय देने की मांग की थी। इसके बावजूद आवास निदेशालय ने सुनवाई से पहले ही आवास खाली करा लिया। उदित राज ने इसे भाजपा नेताओं की साजिश बताया।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि 28 अक्टूबर को स्टे मिलने की आशंका के कारण जल्दी कार्रवाई की गई। उदित राज का मानना है कि यह कार्रवाई उनकी सामाजिक गतिविधियों के कारण की गई है।
‘मनुवाद से लड़ने वालों को सहने पड़ते हैं जुल्म’
कांग्रेस नेता ने कहा कि मनुवाद से ईमानदारी से लड़ने वालों को हर सितम सहने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कुछ दलित नेताओं पर आरोप लगाया कि वे आरएसएस और भाजपा से लड़ने का दिखावा करते हैं। परंतु अंदरूनी तौर पर उनसे मिले हुए हैं।
उदित राज ने दावा किया कि ऐसे नेता कई सरकारी आवास लेकर बैठे हैं। उन्हें सुरक्षा भी मिली हुई है। जबकि उनकी अपनी सुरक्षा छीन ली गई है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को लक्षित उत्पीड़न बताया।
2014 से 2019 तक रहे थे सांसद
उदित राज 2014 से 2019 तक नॉर्थ वेस्ट दिल्ली लोकसभा सीट से सांसद रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान दलित मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाई। वर्तमान में वह कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं। इससे पहले वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य भी रह चुके हैं।
आवास निदेशालय अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं कर पाया है। अधिकारियों का कहना है कि नियमों के अनुसार ही कार्रवाई की गई है। मामला अब अदालत में विचाराधीन है।
सोशल मीडिया पर तस्वीर साझा की
उदित राज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आवास से बाहर फेंके गए सामान की तस्वीर साझा की। इस तस्वीर में घर के बाहर रखे सामान को साफ देखा जा सकता है। इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर चर्चा तेज कर दी है।
राजनीतिक हलकों में यह मामला गर्माया हुआ है। विपक्षी दलों ने इस कार्रवाई की आलोचना की है। सत्तारूढ़ दल के नेता अभी तक इस मामले पर टिप्पणी करने से बच रहे हैं। स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार है।
