National News: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में दो और भारतीय नागरिकों की मौत हो गई है। दोनों के शव बुधवार को दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे। मृतकों की पहचान राजस्थान के अजय गोदारा और उत्तराखंड के राकेश कुमार के रूप में हुई है। ये दोनों पिछले एक साल में छात्र वीजा पर रूस गए थे।
इनकी मौत के साथ ही सितंबर से अब तक युद्ध क्षेत्र में मारे गए भारतीयों की संख्या कम से कम चार हो गई है। विदेश मंत्रालय के अनुसार इस जंग में अब तक कुल सोलह भारतीय नागरिकों की मौत हो चुकी है। इस समय चौवालीस भारतीय रूसी सेना में सेवा दे रहे हैं।
एजेंटों ने क्लीनर की नौकरी का दिखाया झांसा
अजय गोदाराऔर राकेश कुमार को एजेंटों ने गुमराह किया था। एजेंटों ने उन्हें क्लीनर और हेल्पर की नौकरी दिलाने का वादा किया था। लेकिन बाद में उन्हें रूसी सेना में भर्ती करवा दिया गया। सेना में भर्ती के बाद उन्हें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया।
अजय गोदारा के चचेरे भाई प्रकाश गोदारा ने बताया कि उन्हें नौ दिसंबर को मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास से फोन आया। इस फोन में अजय की मौत की सूचना दी गई। अजय ने आखिरी बार इक्कीस सितंबर को अपने परिवार से बात की थी। उसके बाद से उसका कोई संपर्क नहीं था।
मदद की गुहार लगाता भेजा था वीडियो
संपर्क टूटनेसे पहले अजय गोदारा ने परिवार के पास एक वीडियो भेजा था। इस वीडियो में उसने मदद की गुहार लगाई थी। उसने बताया था कि उसे जबरदस्ती युद्ध क्षेत्र में भेजा जा रहा है। परिवार शव को राजस्थान के बीकानेर शहर ले गया। बुधवार शाम को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
रूस की ओर से जारी मृत्यु प्रमाण पत्र में कहा गया है। इसमें लिखा है कि उसकी मौत सक्रिय सैन्य सेवा के दौरान हुई। अजय के परिवार में माता-पिता और एक बहन हैं। परिवार ने पहले भी सरकार से हस्तक्षेप की मांग की थी।
परिवार ने किया था विरोध प्रदर्शन
गोदाराका परिवार देश भर के कई परिवारों में शामिल है। इन परिवारों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर दो बार विरोध प्रदर्शन किया था। परिवार ने केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात की थी। विदेश मंत्रालय के सामने भी यह मामला उठाया गया था।
दूसरे मृतक राकेश कुमार के दोस्त पंकज कुमार ने बताया कि परिवार को पांच दिन पहले ही मौत की सूचना मिली। परिवार को बताया गया कि उसकी मौत डोनबास इलाके में हुई। राकेश ने आखिरी बार तीस अगस्त को अपने परिवार से बात की थी।
रूस ने दिया था भर्ती न करने का आश्वासन
पिछलेसाल अगस्त में मॉस्को ने आश्वासन दिया था। रूस ने कहा था कि वह अब भारतीयों को अपनी सेना में भर्ती नहीं करता। साथ ही यह भी कहा कि वह भर्ती किए गए भारतीयों को रिहा करने में मदद करेगा। लेकिन भारतीयों के रूसी सेना में भर्ती होने का सिलसिला बना हुआ है।
ग्यारह सितंबर को विदेश मंत्रालय ने इस बारे में बयान जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि उसने दिल्ली और मॉस्को दोनों जगह रूसी अधिकारियों से यह मामला उठाया है। उनसे इस सिलसिले को खत्म करने और भारतीय नागरिकों को रिहा करने के लिए कहा गया है।
सांसद ने उठाया था सुरक्षित वापसी का मुद्दा
तीन दिसंबर कोएक महत्वपूर्ण घटना हुई। राजस्थान के नागौर से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने मामला उठाया। उन्होंने रूसी सेना में कथित तौर पर भर्ती किए गए इकसठ भारतीयों की सुरक्षित वापसी का मुद्दा उठाया। यह मामला रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से पहले उठाया गया था।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चौबीस फरवरी दो हजार बाईस से चल रहा है। युद्ध शुरू होने के बाद से ही भारतीयों के रूसी सेना में शामिल होने की खबरें आती रही हैं। विदेश मंत्रालय ने कई बार चेतावनी जारी की है। लोगों को ऐसी नौकरियों के झांसे में न आने की सलाह दी गई है।
विदेश मंत्रालय की चेतावनी और आंकड़े
विदेश मंत्रालय लगातार भारतीय नागरिकोंको चेतावनी जारी कर रहा है। मंत्रालय ने कहा है कि लोग रूस जाने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त कर लें। आठ नवंबर को विदेश मंत्रालय ने नवीनतम आंकड़े जारी किए। मंत्रालय ने बताया कि इस समय चौवालीस भारतीय नागरिक रूसी सेना में सेवा दे रहे हैं।
इससे पहले फरवरी में विदेश मंत्रालय ने बताया था। उस समय तक इस संघर्ष में बारह भारतीयों की मौत हो चुकी थी। अब यह संख्या बढ़कर सोलह हो गई है। परिवारों ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि अन्य भारतीयों को समय रहते सुरक्षित वापस लाया जाए।
