Himachal News: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की दो छात्राओं ने एक अनोखा भूकंप रोधी मॉडल तैयार किया है। पबियाना स्कूल की बारहवीं कक्षा की सिमरन ठाकुर और आठवीं कक्षा की परिधि ने यह मॉडल बनाया है। इन छात्राओं ने न्यूटन के पहले नियम का प्रयोग करते हुए इस मॉडल में संशोधन किया है। इस मॉडल में बाल बेयरिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है।
यह मॉडल सेफ कंस्ट्रक्शन प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है। इस प्रतियोगिता का आयोजन राजस्व विभाग के आपदा प्रबंधन सेल और शिक्षा विभाग ने संयुक्त रूप से किया था। राज्य भर से चयनित आपदा आधारित मॉडल इस प्रतियोगिता में शामिल हुए थे।
मॉडल की खास बातें
इस भूकंप रोधी मॉडल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें बेस में बाल बेयरिंग सिस्टम लगाया गया है। भूकंप आने पर इमारत की नींव तो हिलती है लेकिन ऊपर का स्ट्रक्चर सुरक्षित रहता है। इस तकनीक से जानमाल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। छात्राओं ने इस मॉडल में न्यूटन के नियमों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है।
पारंपरिक इमारतों में भूकंप आने पर पूरी स्ट्रक्चर प्रभावित होती है। इस नए मॉडल में बेयरिंग सिस्टम के कारण ऊपरी हिस्सा सुरक्षित रहता है। यह तकनीक भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है। छात्राओं का यह इनोवेशन निर्माण क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
प्रतियोगिता और सम्मान
राज्य स्तरीय सेफ कंस्ट्रक्शन मॉडल प्रतियोगिता में पबियाना स्कूल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस स्कूल ने राजगढ़ शिक्षा खंड का प्रतिनिधित्व किया था। वरिष्ठ माध्यमिक वर्ग में सिमरन और परिधि की जोड़ी ने यह सफलता हासिल की। चौदह अक्टूबर को शिमला में एक समारोह का आयोजन किया जाएगा।
इस समारोह में स्कूल और छात्राओं को सम्मानित किया जाएगा। डिप्टी डायरेक्टर हायर एजुकेशन सिरमौर ने इसकी जानकारी दी है। यह प्रतियोगिता माह भर चलने वाले समर्थ अभियान के तहत आयोजित की गई थी। जिला स्तर पर चयनित मॉडल को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भेजा गया था।
भविष्य की संभावनाएं
इस मॉडल में भविष्य की निर्माण तकनीकों की झलक देखी जा सकती है। बाल बेयरिंग सिस्टम का उपयोग करके भूकंप रोधी इमारतें बनाई जा सकती हैं। इससे भूकंप के दौरान होने वाले जानमाल के नुकसान में कमी आएगी। छात्राओं का यह प्रयास नई पीढ़ी के इनोवेटुइन को दर्शाता है।
यह मॉडल वैज्ञानिक सिद्धांतों का व्यावहारिक उपयोग साबित होता है। स्थानीय स्तर पर विकसित यह तकनीक राष्ट्रीय स्तर पर उपयोगी हो सकती है। शैक्षणिक संस्थानों में ऐसे इनोवेशन को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। यह छात्राओं की सृजनात्मक सोच को दर्शाता है।
शिक्षा विभाग की पहल
हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग ने इस प्रतियोगिता के माध्यम से छात्रों की इनोवेशन क्षमता को बढ़ावा दिया है। आपदा प्रबंधन पर आधारित ऐसे मॉडल समाज के लिए उपयोगी साबित होते हैं। विभाग की यह पहल छात्रों को वैज्ञानिक सोच के साथ समाज की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए प्रेरित करती है।
राजस्व विभाग के आपदा प्रबंधन सेल ने भी इस पहल में सहयोग दिया है। यह सहयोग सरकारी विभागों के बीच समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण है। ऐसे प्रयासों से छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। साथ ही वे समाज के लिए उपयोगी आविष्कार करने के लिए प्रेरित होते हैं।
