राजस्थान में कोटा की एक विशेष POCSO अदालत ने जिले के अधिकारियों को एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता (Minor rape victim) पर प्रतिबंधित टू फिंगर टेस्ट (Two Finger Test) कराने के लिए एक डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने डॉक्टर के “मेडिकल रिपोर्ट और बयानों में” सबूत मिलने के बाद यह आदेश जारी किया कि इस मामले में टू फिंगर टेस्ट किया गया था। कोटा कोर्ट ने जिले के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) को डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
POCSO Special Court ने फैसले में क्या कहा
POCSO मामलों की विशेष अदालत (Special Court) के न्यायाधीश दीपक दुबे ने 4 जनवरी के अपने फैसले में यह टिप्पणी की। उन्होंने एक व्यक्ति को संदेह के लाभ के आधार पर बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा, “यह कृत्य (टू फिंगर टेस्ट) न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि मानवीय मूल्यों, मानवीय गरिमा और डॉक्टर के पेशे के भी खिलाफ है।”
पिछले साल अक्टूबर में आया था Supreme Court का फैसला
अदालत ने पिछले साल अक्टूबर में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली एक पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में बार-बार टू-फिंगर टेस्ट के इस्तेमाल की निंदा की है। इस टेस्ट का कोई वैज्ञानिक आधार भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में टू फिंगर टेस्ट को पिछड़ा और दकियानूसी करार देते हुए कहा था कि इसमें शामिल कोई भी शख्स कदाचार का दोषी होगा।
हाई कोर्ट की JJC, RIHR और UNICEF Rajasthan का विश्लेषण
इंडियन एक्सप्रेस ने पिछले साल नवंबर में रिपोर्ट दी थी कि राजस्थान में बाल संरक्षण तंत्र की स्थिति पर किए गए एक विश्लेषण के निष्कर्षों में पाया गया था कि कई मामलों में बाल यौन पीड़ितों की मेडिकल जांच में टू फिंगर टेस्ट का हवाला दिया गया था। राजस्थान हाई कोर्ट की किशोर न्याय समिति (JJC) के तत्वावधान में रिसोर्स इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन राइट्स (RIHR) और यूनिसेफ राजस्थान (UNICEF Rajasthan) के सहयोग से किए गए एक अध्ययन के विश्लेषण में कहा गया है कि कई मामलों में मेडिकल परीक्षण रिपोर्ट में ‘टू फिंगर टेस्ट’ के संदर्भ शामिल थे। इसके अलावा पीड़िता को ‘सेक्स की आदत थी’ समेत ये तथ्य भी शामिल थे कि तय मानकों के उलट बलात्कार या यौन हमले के कोई संकेत नहीं मिले।
क्या होता है Two Finger Test ? साइंस ने भी नकारा
एक या दो उंगली से रेप पीड़िता की वर्जिनिटी टेस्ट करने की प्रक्रिया को टू-फिंगर टेस्ट कहा जाता है। यह टेस्ट महिला के साथ शारीरिक संबंध होने या न होने, महिला के शारीरिक संबंधों की आदत और वर्जिनिटी से जुड़े सबूत के तौर पर माना जाता रहा है। मॉडर्न साइंस भी टू-फिंगर टेस्ट को नकारता है और जानकारों का मानना है कि यह टेस्ट महज एक मिथ है।