Tuvalu News: प्रशांत महासागर में स्थित तुवालु अगले 25 साल में समुद्र में डूब सकता है। समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। तुवालु की 11,000 की आबादी ने पलायन शुरू कर दिया है। यह दुनिया का पहला योजनाबद्ध प्रवास है। ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता हुआ है। हर साल 280 लोगों को स्थायी नागरिकता मिलेगी। दो द्वीप पहले ही डूब चुके हैं।
समुद्र जलस्तर का खतरा
तुवालु समुद्र तल से केवल दो मीटर ऊंचा है। समुद्री तूफान और बाढ़ का खतरा बना रहता है। नासा की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में जलस्तर 15 सेंटीमीटर बढ़ा। अगले 25 साल में तुवालु पूरी तरह डूब सकता है। नौ में से दो द्वीप पहले ही डूब चुके हैं। बाकी द्वीप भी खतरे में हैं। जलवायु परिवर्तन इसके लिए जिम्मेदार है।
ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता
तुवालु ने 2023 में ऑस्ट्रेलिया के साथ फॉलेपिली समझौता किया। इसके तहत हर साल 280 तुवालु नागरिकों को ऑस्ट्रेलिया में स्थायी नागरिकता मिलेगी। पहला आवेदन चरण 16 से 18 जुलाई 2025 तक हुआ। 8,750 लोगों ने आवेदन किया। बैलट के जरिए 280 लोगों का चयन हुआ। चयन प्रक्रिया 25 जुलाई 2025 को पूरी हुई। यह पलायन योजना का हिस्सा है।
तुवालु का योजनाबद्ध पलायन
तुवालु का पलायन दुनिया का पहला योजनाबद्ध प्रवास है। 11,000 की आबादी वाले इस देश में नौ कोरल द्वीप हैं। समुद्र के बढ़ते जलस्तर ने जीवन मुश्किल कर दिया है। लोग ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में जा रहे हैं। यह जलवायु परिवर्तन का असर है। तुवालु के लोग अपनी संस्कृति और पहचान बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन का असर
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। तुवालु जैसे छोटे द्वीप देश सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। नासा के अनुसार, पिछले 15 सालों की तुलना में जलस्तर तेजी से बढ़ा। तुवालु के दो द्वीप डूब चुके हैं। बाकी द्वीप भी खतरे में हैं। वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने की जरूरत है। तुवालु का संकट दुनिया के लिए चेतावनी है।
भविष्य की चुनौतियां
तुवालु के डूबने का खतरा बढ़ता जा रहा है। 2050 तक देश पूरी तरह डूब सकता है। लोग नई जगहों पर बस रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में पलायन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अन्य देशों से भी मदद की उम्मीद है। तुवालु की सरकार अपने नागरिकों के लिए सुरक्षित भविष्य चाहती है। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई जरूरी है।
