शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

ट्रंप का झटका: अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने वैश्विक बाजारों को हिलाया, जानें भारत पर क्या पड़ेगा असर

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Washington News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है। यह कदम चीन के दुर्लभ धातुओं के निर्यात प्रतिबंधों का जवाब है। ट्रंप ने कहा कि ये शुल्क एक नवंबर से लागू होंगे। वैश्विक शेयर बाजार गिर गए। नैस्डैक में 3.6 प्रतिशत और एसएंडपी 500 में 2.7 प्रतिशत की कमी आई। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध फिर तेज हो गया है। दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग रुक सकता है।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि चीन का कदम आश्चर्यजनक है। अब इतिहास खुद लिखा जा रहा है। वर्तमान में चीन से आयात पर 30 प्रतिशत शुल्क है। नए शुल्क से कुल 130 प्रतिशत हो जाएगा। चीन अमेरिकी उत्पादों पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाता है। पॉलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, यह घोषणा व्यापार युद्ध को फिर से भड़का सकती है।

चीन ने हाल ही में दुर्लभ धातुओं पर सख्त नियंत्रण लगाए हैं। ये धातुएं इलेक्ट्रिक वाहन, स्मार्टफोन और रक्षा क्षेत्र के लिए जरूरी हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया कि चीन सप्लाई चेन का दुरुपयोग कर रहा है। रॉयटर्स के मुताबिक, चीन ने पांच नई दुर्लभ धातुओं को नियंत्रण सूची में डाला है। इससे वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हो रही है।

अमेरिका ने महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर के निर्यात पर भी नियंत्रण लगाने का फैसला किया है। यह कदम एक नवंबर से प्रभावी होगा। यूएसए टुडे की खबरों के अनुसार, ट्रंप की यह कार्रवाई दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा रही है। पहले मई में दोनों ने शुल्क कम करने पर सहमति जताई थी। अब वह समझौता टूटने के कगार पर है।

वैश्विक बाजारों में हड़कंप मच गया है। वॉल स्ट्रीट का यह अप्रैल के बाद सबसे बुरा दिन रहा। सीएनएन बिजनेस की रिपोर्ट बताती है कि शेयरों में भारी बिकवाली हुई। निवेशक चिंतित हैं। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है। मुद्रास्फीति पहले से ही बढ़ रही है।

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ट्रंप-शी जिनपिंग बैठक पर अनिश्चितता

ट्रंप और शी जिनपिंग की इस महीने एपीईसी बैठक अनिश्चित हो गई है। ट्रंप ने कहा कि दो हफ्तों में मिलना था। लेकिन अब जरूरत नहीं लगती। बाद में उन्होंने कहा कि बैठक तय नहीं है। द गार्जियन के अनुसार, यह बैठक दक्षिण कोरिया में होनी थी। व्यापार युद्ध के कारण रद्द होने की आशंका है।

चीन की ओर से कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है। चीनी विशेषज्ञों ने ट्रंप के कदम को अतिरिक्त प्रतिक्रिया बताया। फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के क्रेग सिंगलटन ने कहा कि दोनों देश आर्थिक हथियार चला रहे हैं। कोई पीछे हटने को तैयार नहीं। टैक्स फाउंडेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये शुल्क अमेरिकी जीडीपी को प्रभावित करेंगे।

वैश्विक अर्थव्यवस्था यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व संकट से जूझ रही है। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध अतिरिक्त बोझ डालेगा। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार युद्ध से वैश्विक व्यापार में 0.2 प्रतिशत कमी आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सप्लाई चेन बाधित होगी। इससे कीमतें बढ़ेंगी।

दुर्लभ धातुओं का महत्व

दुर्लभ धातुएं 17 तत्वों का समूह हैं। ये स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, विंड टरबाइन और मिसाइलों में उपयोग होती हैं। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, चीन वैश्विक उत्पादन का 70 प्रतिशत और शोधन का 90 प्रतिशत नियंत्रित करता है। ये तत्व हरित ऊर्जा और रक्षा तकनीक की आधारशिला हैं।

चीन का नियंत्रण आधुनिक भू-राजनीति में रणनीतिक हथियार है। सीएसआईएस की रिपोर्ट बताती है कि ये प्रतिबंध अमेरिकी रक्षा सप्लाई चेन को खतरे में डालते हैं। दुर्लभ धातुओं के बिना इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा प्रभावित होंगे। अमेरिका और यूरोप वैकल्पिक स्रोत तलाश रहे हैं। लेकिन चीन की पकड़ मजबूत है।

ये धातुएं कांच, चुंबक, बैटरी और उत्प्रेरकों में उपयोग होती हैं। एनर्जी डिपार्टमेंट के अनुसार, ये राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण हैं। स्वास्थ्य सेवा, परिवहन और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में इनकी भूमिका है। चीन के प्रतिबंध से वैश्विक उत्पादन रुक सकता है।

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भारत पर संभावित प्रभाव

भारत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और रक्षा उद्योग के लिए दुर्लभ धातु आधारित पुर्जे आयात करता है। अमेरिका-चीन तनाव लंबा चले तो कीमतें बढ़ेंगी। सप्लाई बाधित हो सकती है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, भारतीय निर्यातकों को फायदा हो सकता है। अमेरिकी बाजार में चीनी सामान महंगे होंगे।

भारत ने 2024-25 में अमेरिका को 86 अरब डॉलर का निर्यात किया। टेक्सटाइल, खिलौने और अन्य क्षेत्रों में अवसर बढ़ेंगे। गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट कहती है कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर रहेगी। जीडीपी वृद्धि 6.3 प्रतिशत रह सकती है। लेकिन सप्लाई चेन पर नजर रखनी होगी।

भारतीय कंपनियां वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रही हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की खबरों के अनुसार, अमेरिकी शुल्क से भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धी बनेंगे। लेकिन दुर्लभ धातुओं की कमी से इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र प्रभावित होगा। सरकार निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से भारत को सतर्क रहना चाहिए। लाइवमिंट की रिपोर्ट बताती है कि सप्लाई चेन में बदलाव जरूरी है। भारत घरेलू उत्पादन बढ़ा सकता है। लेकिन वैश्विक अनिश्चितता से निवेश प्रभावित हो सकता है।

ट्रंप के शुल्क से वैश्विक व्यापार प्रभावित होगा। विकिपीडिया के अनुसार, 2025 में व्यापार युद्ध तेज हुआ है। अमेरिका ने 145 प्रतिशत तक शुल्क लगाए थे। अब 130 प्रतिशत हो रहा है। चीन ने जवाबी कार्रवाई की। इससे वैश्विक विकास धीमा पड़ सकता है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने दुर्लभ धातु निर्यात रोके हैं। इससे अमेरिकी उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। भारत को अवसर मिल सकता है। लेकिन जोखिम भी हैं। निर्यात बढ़ाने के लिए रणनीति बनानी होगी।

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने नई बहस छेड़ दी है। फॉर्च्यून की खबर कहती है कि सप्लाई चेन बदल रही है। भारत इसमें भूमिका निभा सकता है। लेकिन दुर्लभ धातुओं पर निर्भरता कम करनी होगी। वैश्विक सहयोग जरूरी है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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