Business News: अमेरिका में डोनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति का भारतीय निर्यात पर गहरा असर पड़ा है। जीटीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार भारत का अमेरिका को निर्यात सितंबर में घटकर 5.5 अरब डॉलर रह गया। यह अगस्त की तुलना में 20.3 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है। निर्यात में यह लगातार चौथी मासिक कमी है।
मई से सितंबर के बीच भारतीय निर्यात में 3.3 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट आई है। मई में निर्यात 8.8 अरब डॉलर था जो सितंबर में 5.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया। सितंबर पहला पूरा महीना था जब अधिकांश भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया।
निर्यात में आई भारी गिरावट
व्यापार आंकड़े भारतीय निर्यात में लगातार गिरावट दर्शा रहे हैं। जून में निर्यात 8.3 अरब डॉलर रहा जो 5.7 प्रतिशत कम है। जुलाई में यह 8.0 अरब डॉलर और अगस्त में 6.9 अरब डॉलर रहा। अगस्त में 13.8 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई।
टैरिफ व्यवस्था का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ा है। टैरिफ 10 प्रतिशत से शुरू होकर अगस्त की शुरुआत में 25 प्रतिशत तक पहुंचा। महीने के अंत तक यह 50 प्रतिशत तक जा पहुंचा। इससे भारतीय निर्यातकों को भारी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
इन क्षेत्रों पर पड़ा सबसे अधिक असर
निर्यात में गिरावट का सबसे अधिक असर कपड़ा उद्योग पर पड़ा है। रत्न और आभूषण क्षेत्र को भी भारी नुकसान हुआ है। इंजीनियरिंग सामान और रसायन उद्योग के निर्यात में भी गिरावट दर्ज की गई है।
जीटीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि टैरिफ वृद्धि के बाद अमेरिका भारत के लिए सबसे अधिक प्रभावित बाजार बनकर उभरा है। भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने में कठिनाई हो रही है। कीमतों में वृद्धि से मांग प्रभावित हुई है।
व्यापार समझौते पर जारी है बातचीत
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। दोनों देश इस पर बातचीत जारी रखे हुए हैं। टैरिफ मुद्दे ने बातचीत की प्रक्रिया को जटिल बना दिया है। कई रिपोर्टों में कहा गया है कि जल्द ही समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है।
हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। दोनों पक्ष महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं। व्यापार समझौता दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नई दिशा दे सकता है। बातचीत के सकारात्मक परिणाम की उम्मीद की जा रही है।
ट्रंप के बयानों में असंगति
डोनल्ड ट्रंप भारत के संबंध में विरोधाभासी बयान देते रहे हैं। कभी वह भारत की प्रशंसा करते हैं तो कभी प्रतिबंधों की धमकी देते हैं। उन्होंने कहा था कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देगा। साथ ही प्रधानमंत्री से बातचीत का भी दावा किया।
इन बयानों ने द्विपक्षीय संबंधों में अनिश्चितता पैदा की है। व्यापारिक रिलेशन प्रभावित हुए हैं। निवेशकों के मन में भी संशय की स्थिति बनी हुई है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में स्थिरता की आवश्यकता है।
