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Thursday, March 23, 2023

Tripura: कौन है प्रतिमा भौमिक, जिसको मुख्यमंत्री बना सकती है भाजपा

Tripura News: कानू देवी अपने घर में परिवार के लोगों के साथ बैठकर खूब मजे से बतिया रही हैं उनके चेहरे पर खुशी साफ दिख रही है. यह खुशी उनकी बेटी के विधानसभा चुनाव जीतने की है. बात बहुत पुरानी नहीं है जब उनकी बेटी इसी घर-गांव में रहती थी. यहीं से उसने दसवीं की परीक्षा पास की और फिर आगे की पढ़ाई की और फिर अगरतला गई. राजनीति में उसने कदम रखा और आज स्थिति यह है कि जिस विधानसभा में उसका गांव आता है वहीं से विधानसभा का चुनाव जीती है. और तो और अब वह त्रिपुरा के मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे है.

यह हम बात कर रहे हैं प्रतिमा भौमिक की. भौमिक वह हैं जिन पर भारतीय जनता पार्टी ने विश्वास जताया और केंद्र में मंत्री होने के बावजूद उनको त्रिपुरा की राजनीति करने के लिए भेजा और स्थानीय विधायक का टिकट दिया. धनपुर एक ऐसी सीट जो लेफ्ट का गढ़ माना जाता था. 1977 से वहां कोई और नहीं जीता था उस सीट पर प्रतिमा भौमिक ने अपनी जीत दर्ज कराई है. प्रतिमा बताती हैं यह बिल्कुल भी आसान नहीं थी लेकिन अपनी मेहनत पर और पार्टी के भरोसे से वह यहां तक पहुंची हैं.

जरूरत पड़ी तो पंचायत चुनाव भी लडूंगी

त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी ने जबसे दोबारा जीत दर्ज की है उसके बाद से सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री के नाम पर चर्चा हो रही है. कयास लगाए जा रहे हैं कि नॉर्थईस्ट को पहली महिला मुख्यमंत्री मिल सकती है. त्रिपुरा में प्रतिमा भौमिक को यह मौका दिया जा सकता है. प्रतिमा से टीवी9 भारतवर्ष ने जब यह सवाल पूछा तो प्रतिमा ने कहा कि पार्टी अगर कहती है तो वह पंचायत का चुनाव भी लड़ेगी. भौमिक पार्टी की वह सिपाही है जिसे जो जिम्मेदारी दी गई उन्होंने उसी पर काम किया है. उसी पर वह राजनीति करती रहेंगी. उन्होंने कहा कि वे राजनीति में सेवा करने के लिए आई हैं. उन्होंने कहा कि विधायक से लेकर सांसद और सांसद से लेकर मंत्री तक का सफर पार्टी के विश्वास पर ही उन्होंने पूरा किया है पार्टी की जो इच्छा होगी वही करेंगी.

दीदी हर समस्या का समाधान है

प्रतिमा भौमिक के बारे में गांव के के लोग कहते हैं कि हमारी हर छोटी बड़ी समस्या का समाधान दीदी हैं. उन्हें कुछ भी होता है तो वह दीदी से बात करते हैं. गांव वालों का कहना है कि इस पूरे गांव में चाहे बड़े स्कूल हो कॉलेज हो या कोई भी बड़ा प्रोजेक्ट हो सब कुछ बनाने का काम प्रतिमा दीदी ने किया है. उनको कुछ कहने की जरूरत नहीं होती कि गांव में क्या करना है क्या नहीं करना है. यहां तक कि व्यक्तिगत जिंदगी में भी घर में भी अगर कोई बीमार हो जाता है और इलाज के लिए अगर कोलकाता ले जाना होता है तो सारा खर्चा और सारा कुछ दीदी खुद ही जुटाती हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि दीदी अगर मुख्यमंत्री बनती है तो इस पूरे इलाके का विकास और भी तेजी से होगा.

बांग्लादेश से पूरा परिवार आया

प्रतिमा भौमिक का परिवार बांग्लादेश से उठ कर आया है. उनके पिताजी एक टीचर थे और साथ-साथ अमीन का भी काम करते थे लेकिन साल 1964 में कुछ ऐसी परिस्थिति बनी कि बांग्लादेश से छोड़कर उनको हिंदुस्तान आना पड़ा और त्रिपुरा के धनपुर इलाके में आकर उन्होंने अपना डेरा जमाया. धनपुर से वह अगरतला गए और अगरतला में ही उन्होंने कानो से शादी की. प्रतिमा और उनके दोनों भाई हिंदुस्तान में ही पैदा हुए लेकिन आज भी उनके संबंधी बांग्लादेश में हैं जिनके यहां कभी-कभी उन लोगों का आना जाना होता है.

महज 100 मीटर की दूरी पर बॉर्डर

धनपुर में जहां दीदी का घर है वहां से महज 100 मीटर की दूरी पर हिंदुस्तान और बांग्लादेश का बॉर्डर है. हालांकि बॉर्डर पर पूरी तरीके से फेंसिंग किया हुआ है. बीएसएफ के जवान गश्त लगाते नजर आते हैं लेकिन यह वह बॉर्डर है जहां से लोग अभी भी खेती-बाड़ी के लिए आते-जाते रहते हैं. निश्चित रूप से एक ऐसा इलाका है जो काफी ज्यादा बांग्लादेश की राजनीति और तमाम तरह की चीजों से प्रभावित है. ऐसे में यहां की राजनीति पर बहुत ज्यादा असर अल्पसंख्यकों का भी है. खुद दीदी के पोलिंग बूथ में 912 वोट अल्पसंख्यकों के हैं बावजूद इसके दीदी इतनी पॉपुलर हैं कि हर तबके के लोगों ने उनको वोट दिया और इसी वजह से वह चुनाव जीती हैं.

मानिक शाह की राह आसान नहीं

त्रिपुरा में बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 33 सीट जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है. इसने यह साबित कर दिया है कि गठबंधन द्वारा 2018 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के 25 साल के शासन को राज्य में ध्वस्त करना महज संयोग नहीं था. लेकिन मुद्दा अब बड़े नेतृत्व को लेकर है. हालांकि चुनावों से पहले पार्टी ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि वर्तमान मुख्यमंत्री माणिक साहा उनके सीएम चेहरे हैं. लेकिन अटकलें तेज हैं कि पार्टी अब इसकी समीक्षा कर सकती है क्योंकि चुनाव खत्म हो गए हैं. हालांकि माणिक साहा की छवि बहुत अच्छी है लेकिन इसके बावजूद भी कई सारे ऐसे समीकरण हैं जो उनके खिलाफ हैं शायद यही वजह है कि महिला नेता के तौर पर प्रतिमा भौमिक पर भारतीय जनता पार्टी दांव लगाने की तैयारी कर रही है.

महिलाओं ने बढ़-चढ़कर किया मतदान

भौमिक सुदूरवर्ती धनपुर गांव के किसान परिवार से आती हैं, जो भारत-बांग्लादेश सीमा के करीब है. आदिवासी बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में झटके के बावजूद महिला मतदाताओं ने राज्य में बीजेपी की सत्ता में वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल महिलाओं (89.17%) ने पुरुषों (86.12%) की तुलना में अधिक मतदान किया. धनपुर, जहां से भौमिक ने 3,500 मतों से जीत हासिल की है, का मुख्यमंत्रियों के चुनाव का इतिहास रहा है. वयोवृद्ध माकपा नेता माणिक सरकार इसी निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार चुने गए थे. 2018 में भी सरकार ने वहां से चुनाव जीता और विपक्ष के नेता बने.

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