International News: अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया है। इस फैसले पर चीन ने प्रतिक्रिया दी और क्षेत्रीय देशों से आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने को कहा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की। उन्होंने कहा कि चीन सभी तरह के आतंकवाद का विरोध करता है। यह कदम पाकिस्तान के लिए झटका है, क्योंकि चीन ने उसका खुलकर समर्थन नहीं किया।
अमेरिका का फैसला और उसका असर
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने टीआरएफ को विदेशी आतंकी संगठन घोषित करने की बात कही। यह घोषणा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति में भी चर्चा का विषय बन सकती है। इस समिति ने पहले भी कई आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाए हैं। टीआरएफ पर यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को मजबूत करेगी। The Hindu के अनुसार, यह कदम पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाएगा, क्योंकि टीआरएफ को लश्कर का हिस्सा माना जाता है।
चीन की प्रतिक्रिया से पाकिस्तान को झटका
चीन ने टीआरएफ आतंकी संगठन के मुद्दे पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी। उसने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की बात कही, लेकिन पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। लिन जियान ने पहलगाम हमले की निंदा दोहराई। यह पाकिस्तान के लिए अप्रत्याशित है, जो चीन से समर्थन की उम्मीद कर रहा था। राइट न्यूज़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन का यह रुख क्षेत्रीय सुरक्षा पर केंद्रित है। इससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्थिति कमजोर हो सकती है।
संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और चुनौतियां
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाती है। इसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन शामिल हैं। अमेरिका के फैसले से टीआरएफ को भी इस सूची में लाने की मांग बढ़ सकती है। हालांकि, चीन और पाकिस्तान की आपत्तियां इसे मुश्किल बना सकती हैं। पहलगाम हमले के बाद यूएनएससी ने बयान जारी किया था, लेकिन टीआरएफ का नाम हटा दिया गया। यह स्थिति आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहमति को जटिल बनाती है।
