New Delhi: राज्यसभा में गुरुवार को शांति विधेयक पर तीखी बहस हुई। तृणमूल कांग्रेस की सांसद सागरिका घोष ने सरकार पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने इस बिल को ट्रंप बिल करार दिया। सागरिका घोष ने कहा कि यह शांति बिल नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस बिल के जरिए वाशिंगटन को खुश करना चाहती है। टीएमसी सांसद ने कहा कि यह बिल देश के नागरिकों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। विपक्ष ने बिल पर गहन चर्चा की मांग की।
सागरिका घोष ने दिया ट्रंप बिल का फुल फॉर्म
सागरिकाघोष ने राज्यसभा में अपने भाषण में कहा कि यह शांति बिल नहीं है। यह ट्रंप बिल है। उन्होंने ट्रंप का फुल फॉर्म भी दिया। ‘द रिएक्टर अपग्रेडेशन मैनेजमेंट प्रोग्राम बिल’। उन्होंने कहा कि सभी को पता है कि सरकार किसके साथ खड़ी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ‘हम दो हमारे दो’ के विचार के साथ काम कर रही है। सागरिका घोष ने कहा कि एक गलती कई पीढ़ियों को बर्बाद कर सकती है। यह कोई कमर्शियल एक्टिविटी नहीं है। यह टेलीकॉम और डिफेंस नहीं है।
सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
टीएमसीसांसद ने कहा कि इस सरकार को सिर्फ प्रॉफिट की भाषा समझ आती है। जनता की भाषा नहीं आती। उन्होंने सवाल किया कि क्या इस बिल से वाशिंगटन को खुश करने की कोशिश की जा रही है। यह देश के नागरिकों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।
सागरिका घोष ने कहा कि यह सरकार मुंह में स्वदेशी है और दिल में विदेशी है। ये आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं और बिल लाते हैं विदेशियों के लिए। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि ट्रंप सरकार का नारा अब इस सरकार की नीति बन गया है।
बिल पर गहन चर्चा की मांग
तृणमूल कांग्रेस सांसद नेकहा कि इस बिल को इतनी जल्दी में नहीं पास किया जा सकता। इस पर गहन चर्चा चाहिए। सिर्फ चार घंटे की चर्चा के बाद इस बिल को सदन से पास नहीं किया जा सकता। विपक्ष ने बिल की प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
सागरिका घोष ने कहा कि यह कोई साधारण विधेयक नहीं है। इसका असर देश की सुरक्षा और ऊर्जा नीति पर पड़ेगा। इसलिए इस पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए। हर पक्ष को अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने दिए तर्क
परमाणुऊर्जा राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बिल का बचाव किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक विकसित भारत बनाने में मददगार होगा। उच्च सदन में बिल पेश करते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह मील का पत्थर साबित होगा।
मंत्री ने कहा कि दुनिया स्वच्छ ऊर्जा की तरफ बढ़ गई है। बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए यह विधेयक महत्वपूर्ण है। आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने में भी यह बिल मदद करेगा। उन्होंने बिल को ऐतिहासिक बताया।
परमाणु ऊर्जा लक्ष्य का जिक्र
जितेंद्र सिंह नेबताया कि परमाणु ऊर्जा को सौ गीगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य है। फिलहाल यह आठ गीगावाट से अधिक है। उन्होंने कहा कि परमाणु प्रौद्योगिकी से कृषि उद्योग को लाभ होगा। खाद्य क्षेत्र तथा अन्य क्षेत्रों को भी फायदा मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस विधेयक की उपयोगिता परमाणु ऊर्जा से कहीं आगे तक है। यह विधेयक सत्रह दिसंबर को लोकसभा में पारित हो गया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ग्यारह दिसंबर को इस विधेयक को मंजूरी दी थी।
विधेयक का उद्देश्य और प्रावधान
‘भारत केरुपांतरण के लिए नाभिकीय ऊर्जा का संधारणीय दोहन और अभिवर्द्धन (शांति) विधेयक, 2025’ का मुख्य उद्देश्य है। यह परमाणु ऊर्जा के सतत विकास और उन्नयन को सुनिश्चित करेगा। बिल में निजी क्षेत्र की भागीदारी का प्रावधान है।
सरकार का कहना है कि इससे परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा। प्रौद्योगिकी का विकास होगा और रोजगार के अवसर सृजित होंगे। बिल को लोकसभा से पारित कराने के बाद अब राज्यसभा में पेश किया गया है।
