Andhra Pradesh News: तिरुमला तिरुपति देवस्थानम मंदिर में प्रसाद के रूप में बांटे जाने वाले लड्डू में मिलावट के मामले में नए खुलासे हुए हैं। जांच में 50 लाख रुपये के लेनदेन का पता चला है। यह रकम मंदिर ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन वाईवी सुब्बा रेड्डी के सहायक को दी गई थी। मामला तब सामने आया जब लड्डुओं की जांच में जानवरों की चर्बी मिला घी पाया गया था।
जांच रिपोर्ट के अनुसार के. चिन्नाप्पन्ना को 50 लाख रुपये नकद मिले थे। यह पूंजी हवाला एजेंटों के माध्यम से उत्तर प्रदेश स्थित कंपनी एग्री फूड्स प्राइवेट लिमिटेड ने भेजी थी। दिल्ली स्थित एजेंट अमन गुप्ता ने उन्हें 20 लाख रुपये दिए थे। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी विजय गुप्ता ने बाकी की रकम दी थी।
लेनदेन दिल्ली के पटेल नगर मेट्रो स्टेशन के पास हुआ था। वाईवी सुब्बा रेड्डी उस समय लोकसभा सांसद थे और अब राज्यसभा सदस्य हैं। यह मामला इतना गंभीर हुआ कि सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। कोर्ट ने इसकी जांच के आदेश दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने गठित की थी जांच समिति
मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच समिति गठित की थी। इस समिति में सीबीआई, राज्य पुलिस और खाद्य सुरक्षा अधिकारी शामिल थे। समिति ने अपनी जांच में कई चौंकाने वाले तथ्यों का पता लगाया। लड्डुओं के लिए घी की सप्लाई में चार कंपनियां शामिल पाई गईं।
जांच में पता चला कि कंपनियों ने दस्तावेजों में छेड़छाड़ की थी। उन्होंने कीमतों में भी फेरबदल किया ताकि टेंडर हासिल हो सके। कुल 60.37 लाख किलो घी 240.8 करोड़ रुपये में बेचा गया। भोले बाबा ऑर्गनिक डेयरी मिल्क प्राइवेट लिमिटेड ने यह घी तैयार किया था।
घी में पाम ऑयल और केमिकल्स की मिलावट
जांच में पाया गया कि घी में पाम ऑयल और केमिकल्स का इस्तेमाल किया गया था। कंपनी ने यह घी अपने रुड़की स्थित प्लांट में बनाया था। इसके बाद इस घी को तीन अन्य कंपनियों ने आगे सप्लाई किया। श्री वैष्णवी डेयरी ने 133.12 करोड़ रुपये में घी की सप्लाई की।
मालगंगा मिल्क ऐंड एग्रो प्रोडक्ट्स ने 73.18 करोड़ रुपये में सप्लाई की। एआर डेयरी फूड्स ने 1.61 करोड़ रुपये के घी की सप्लाई की। यह पूरा नेटवर्क मिलकर काम कर रहा था। उन्होंने मंदिर प्रशासन को गलत घी सप्लाई किया।
मिलावट का पता चलने के बाद भी जारी रही सप्लाई
सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि मिलावट का पता चलने के बाद भी सप्लाई जारी रही। मैसुरु स्थित केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान ने मिलावट की पुष्टि की थी। इसके बावजूद सप्लाई वर्ष 2024 तक जारी रही। इससे सवाल उठते हैं कि मंदिर प्रशासन ने रोकथाम के कदम क्यों नहीं उठाए।
जांच रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि मिलावट की जानकारी के बाद भी सप्लाई जारी रहना गंभीर लापरवाही है। इससे लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ हुआ है। तिरुपति मंदिर देश के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है।
मंदिर प्रशासन पर उठे सवाल
इस पूरे मामले ने मंदिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। श्रद्धालु मंदिर में पवित्र प्रसाद ग्रहण करने आते हैं। उनकी आस्था से खिलवाड़ करना गंभीर अपराध माना जा रहा है। जांच अब भी जारी है और और भी खुलासे होने की संभावना है।
मंदिर प्रशासन ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि सूत्रों के अनुसार आंतरिक जांच भी चल रही है। इस मामले में कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। पूरा मामला अभी कोर्ट की निगरानी में है।
