Bihar News: मुजफ्फरपुर स्थित तिरहुत कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन ने शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। वर्ष 1938 में स्थापित यह संस्थान देश के पांच सबसे पुराने फिजिकल एजुकेशन कॉलेजों में शामिल है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन की अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए इस कॉलेज ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। यहां से निकले विद्यार्थी देशभर में खेल और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
ऐतिहासिक सफर की शुरुआत
इस संस्थान की स्थापना एक हेल्थ सेंटर के रूप में हुई थी। स्वतंत्रता आंदोलन के दौर में शारीरिक सशक्तिकरण पर जोर दिया जा रहा था। तीन साल के प्रयोगात्मक संचालन के बाद 1943 में इसे कॉलेज का दर्जा मिला। पटना विश्वविद्यालय ने इसे मान्यता प्रदान की। तब से लेकर आज तक यह संस्थान निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
विशाल परिसर और आधुनिक सुविधाएं
कॉलेज का परिसर 31.2 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें खेलों की हर आवश्यक सुविधा उपलब्ध है। दो क्रिकेट ग्राउंड और दो फुटबॉल ग्राउंड यहां की मुख्य विशेषताएं हैं। 30,000 वर्ग फीट में बना विशाल इंडोर स्टेडियम भी परिसर में मौजूद है। इसमें आधुनिक जिम और अन्य प्रशिक्षण सुविधाएं उपलब्ध हैं। छात्रों के लिए 32 कमरों वाला छात्रावास भी है।
शैक्षणिक पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण
संस्थान में डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन और बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन के कोर्स संचालित हैं। ये पाठ्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद और बीआरए बिहार विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त हैं। शिक्षण पद्धति सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों पहलुओं पर केंद्रित है। डिस्टेंस लर्निंग की यहां अनुमति नहीं है। प्रतिदिन विद्यार्थियों को व्यावहारिक गतिविधियों में भाग लेना अनिवार्य होता है।
अनुभवी शिक्षक और मार्गदर्शन
कॉलेज के शासी निकाय के अध्यक्ष श्री संजीव नंदन सहाय और सचिव डॉ शशि रंजन प्रसाद का संयुक्त नेतृत्व संस्थान को मजबूती प्रदान करता है। शिक्षकों का चयन योग्यता और अनुभव के आधार पर किया जाता है। उनका उद्देश्य विद्यार्थियों को अनुशासित जीवनशैली के लिए प्रेरित करना है। शिक्षण पद्धति विद्यार्थियों को करियर के नए अवसर खोजने में मदद करती है।
राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर उपलब्धियां
संस्थान के विद्यार्थी राष्ट्रीय और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में नियमित रूप से भाग लेते हैं। कुश्ती, क्रिकेट, खो-खो और कबड्डी जैसे खेलों में उन्होंने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। इंडोर स्टेडियम में आयोजित शतरंज और मलयुद्ध प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं। ये आयोजन टीम भावना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सामाजिक सरोकार और सहायता कार्य
संस्थान ने प्राकृतिक आपदाओं के समय सक्रिय भूमिका निभाई है। बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित की गई है। चमकी बुखार के दौरान पीड़ित परिवारों को सहायता प्रदान की गई। कोविड-19 महामारी में संस्थान ने लोगों को भोजन सामग्री उपलब्ध कराई। विकलांग व्यक्तियों को व्हीलचेयर और मेधावी खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाती है।
आधुनिक समय में प्रासंगिकता
मौजूदा दौर में शारीरिक शिक्षा की महत्ता और बढ़ गई है। मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियों के बढ़ते प्रसार ने फिटनेस के प्रति जागरूकता पैदा की है। यह संस्थान स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। खिलाड़ियों के प्रशिक्षण के साथ-साथ यह फिटनेस संस्कृति के प्रसार में भी संलग्न है।
