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गुरूवार, जून 1, 2023
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टिल्लू ताजपुरिया हत्या मामला, 80 पुलिस अधिकारियों पर गाज गिरना तय

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Delhi News: तिहाड़ जेल में टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के मामले में 80 पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है। तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने जेल के 80 पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें 5 उपाधीक्षक, 9 सहायक अधीक्षक, 8 हेड वार्डन और 50 वार्डन शामिल हैं। इससे पहले 11 मई को भी प्रशानस की ओर से बड़ी कार्रवाई की गई थी। प्रशासन ने 11 मई को 99 पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया था। इस तरह टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के बाद से अब तक 171 जेल अधिकारियों का तबादला किया जा चुका है। 

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उल्लेखनीय है कि 2 मई को तिहाड़ जेल में ही टिल्लू ताजपुरिया की हत्या कर दी गई थी। सोशल मीडिया पर तिहाड़ जेल का एक सीसीटीवी वीडियो वायरल हो गया था। इस वीडियो में देखा गया कि गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया पर सुरक्षाकर्मियों के सामने ही बदमाशों ने हमला किया था। टिल्लू ताजपुरिया की हत्या में कथित तौर पर गौगी गैंग के योगेश उर्फ टुंडा, राजेश, दीपक उर्फ तीतर और रियाज खान शामिल थे। पुलिस की छानबीन में यह भी पता चला कि हमलावर टिल्लू ताजपुरिया को कई वर्षों से मारने की योजना बना रहे थे। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल प्रशासन पर कई सवाल खड़ किए थे। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल किया कि आपस में संपर्क करने के लिए जेल परिसर में तैनात सुरक्षा कर्मियों के पास ‘वाकी-टाकी’ क्यों नहीं था। टिल्लू ताजपुरिया हाई सिक्योरिटी सेल में कैद था फिर उसकी हत्या कैसे कर दी गई जबकि सुरक्षाकर्मी घटना को ‘लाइव’ देख रहे थे। जस्टिस जसमीत सिंह ने सवाल किया था कि यह बात परेशान करने वाली है कि घटना सीसीटीवी कैमरे पर लाइव देखी गई। जेल और निगरानी क्षेत्र के बीच कितनी दूरी है। सुरक्षा में लगे अधिकारियों ने जब घटना को देखा तो उन्हें इतना वक्त मौके पर पहुंचने में कैसे लग गया कि हमलावरों को रोका नहीं जा सका…

मालूम हो कि दिल्ली हाईकोर्ट ने ताजपुरिया के पिता और भाई की ओर से दाखिल उस याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिसमें इस केस की सीबीआई से छानबीन कराए जाने का निर्देश देने की मांग की गई है। वहीं सरकारी वकील का कहना था कि आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसका क्या मतलब है कि जब घटना होगी तब सुरक्षा कर्मी निगरानी क्षेत्र से जेल के भीतर जाएगा। इसके साथ ही अदालत ने यह भी पूछा कि अधिकारियों को कार्रवाई करने के लिए ऐसी घटनाओं का इंतजार क्यों करना पड़ता है।

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