Himachal News: हिमाचल प्रदेश के थुनाग में हाल ही में आई थुनाग आपदा ने भारी तबाही मचाई। बादल फटने और भूस्खलन ने इस शांत कस्बे को मलबे में बदल दिया। घर, दुकानें और सपने सब बिखर गए। लेकिन अब, राहत कार्यों के साथ थुनाग धीरे-धीरे संभल रहा है। स्थानीय लोग और प्रशासन मिलकर मलबा हटा रहे हैं। दुकानदार अपनी दुकानें फिर से खोल रहे हैं। यह हौसला इस कस्बे की ताकत को दर्शाता है।
बाजार में लौट रही रौनक
थुनाग का बाजार, जो कुछ दिन पहले मलबे में दबा था, अब धीरे-धीरे जाग रहा है। 58 वर्षीय दुकानदार ठाकुर दास अपनी टूटी दुकान को साफ कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “सब कुछ चला गया, लेकिन हिम्मत बाकी है।” जेसीबी मशीनों की आवाज अब डर की नहीं, बल्कि पुनर्निर्माण की उम्मीद बन गई है। लोग अपने रोजमर्रा के काम शुरू कर रहे हैं। यह दृश्य थुनाग के अटूट जज्बे की कहानी कहता है।
राहत सामग्री से मिली राहत
थुनाग आपदा के बाद भूख और प्यास ने लोगों को परेशान किया था। महिलाएं आटा और राशन के लिए लाइनों में खड़ी थीं। अब हालात सुधर रहे हैं। प्रशासन और स्वयंसेवी संगठन राशन, दूध और सब्जियां पहुंचा रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “अब पेट भरने की चिंता कम है।” राहत सामग्री की गाड़ियां नियमित रूप से गांवों तक पहुंच रही हैं। यह सहायता लोगों के चेहरों पर थोड़ी राहत ला रही है।
स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौती
आपदा के बाद कीचड़ और गंदा पानी बीमारियों को न्योता दे रहा है। मायाधार गांव की सात साल की माही को तेज बुखार था। उसकी मां सुमन ने बताया, “सड़क टूटी होने से डॉक्टर तक पहुंचना मुश्किल था।” थुनाग में मेडिकल कैंप लगाए गए हैं। डॉक्टरों ने माही को दवाएं दीं। बगस्याड और जंजैहली में भी ऐसे कैंप शुरू होंगे। ये कैंप सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि उम्मीद का आधार दे रहे हैं।
मेडिकल यूनियन का योगदान
हिमाचल मेडिकल रिप्रजेंटेटिव यूनियन (एचएमआरयू) ने थुनाग आपदा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संगठन ने अपने संसाधनों से दवाएं, मेडिकल किट्स और जरूरी सामग्री प्रभावित लोगों तक पहुंचाई। उनकी टीमें दिन-रात राहत कार्य में जुटी हैं। एक स्वयंसेवी ने कहा, “हमारा मकसद हर जरूरतमंद तक मदद पहुंचाना है।” इन प्रयासों ने थुनाग के लोगों को नई संजीवनी दी है। यह इंसानियत का एक अनमोल उदाहरण है।
लोगों का अटूट हौसला
थुनाग के लोग भारी नुकसान के बावजूद हार नहीं मान रहे। मलबे में दबे घरों के बीच खड़े होकर वे कहते हैं, “हम फिर से बनाएंगे।” यह जज्बा सिर्फ एक कस्बे की कहानी नहीं, बल्कि मानवीय हिम्मत की मिसाल है। आपदा ने सब कुछ छीन लिया, लेकिन लोगों का हौसला नहीं तोड़ पाई। प्रशासन और स्वयंसेवियों के साथ मिलकर थुनाग के लोग अपने भविष्य को फिर से संवार रहे हैं।
राहत कार्यों में तेजी
प्रशासन ने राहत कार्यों को तेज कर दिया है। सड़कों को बहाल करने के लिए जेसीबी और अन्य मशीनें दिन-रात काम कर रही हैं। एनडीआरएफ और स्थानीय टीमें प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री बांट रही हैं। थुनाग के रीला और पियाला देजी जैसे गांवों में बचाव कार्य युद्धस्तर पर चल रहे हैं। यह सामूहिक प्रयास लोगों को नया जीवन दे रहा है। थुनाग धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है।
