Krishna Myth: इस बार भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी पर्व दो दिन 6 व 7 सितंबर को मनाया जाएगा। ये पर्व पूरे देश में बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े कईं मिथक हैं, लेकिन बहुत कम लोग इनके बारे में जानते हैं।
इस बार जन्माष्टमी (Janmashtami 2023) पर्व 6 व 7 सितंबर को मनाया जाएगा। ये पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन प्रमुख कृष्ण मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर ही भगवान विष्णु ने कृष्ण रूप में अवतार लिया था। भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े अनेक मिथ (Krishna Myth) प्रचलित हैं, लेकिन बहुत कम लोग इससे जुड़ी सच्चाई के बारे में जानते हैं। आगे जानिए कुछ ऐसे ही मिथक और उनसे जुड़ी सच्चाई के बारे में…
क्या अर्जुन और श्रीकृष्ण भाई थे?
दूरदर्शन पर प्रसारित टीवी सीरियल में श्रीकृष्ण अक्सर युधिष्ठिर को बड़े भाई की तरह सम्मान देते नजर आते थे तो क्या वे सचमुच उनके भाई थे। इसका उत्तर महाभारत ग्रंथ में मिलता है। उसके अनुसार, मथुरा के राजा शूरसेन की पुत्र वसुदेव थे और उनकी एक पुत्री भी थी, जिसका नाम पृथा था। राजा शूरसेन ने अपनी पुत्री पृथा को अपने मित्र कुंती भोज को गोद दे दिया था। यही पृथा कुंती कहलाई। वहीं श्रीकृष्ण ने वसुदेव के पुत्र के रूप में जन्म लिया। इस तरह कुंती उनकी बुआ हुई और पांडव उनके भाई।
जब युद्ध छोड़कर भागे श्रीकृष्ण
श्रीमद्भागवत के अनुसार, जरासंध श्रीकृष्ण का परम शत्रु था। वह बार-बार मथुरा पर आक्रमण करता रहता था। एक बार वह अपने मित्र कालयवन को लेकर श्रीकृष्ण से युद्ध करने पहुंचा। कालयवन को कई वरदान प्राप्त थे, जिससे श्रीकृष्ण भी उसका वध नहीं कर सकते थे। तब श्रीकृष्ण युद्ध के मैदान से भागे और जाकर एक गुफा में छिप गए। उस गुफा में राजा मुचकुंद सो रहे थे। राजा मुचकुंद को वरदान प्राप्त था कि जो भी उन्हें नींद से जगाएगा वह जलकर भस्म हो जाएगा। ये गलती कालयवन ने कर दी और वह मारा गया। युद्ध का मैदान छोड़कर भागने के कारण ही श्रीकृष्ण का एक नाम रणछोड़ पड़ गया।
क्या भगवान श्रीकृष्ण सचमुच नीले थे?
भगवान श्रीकृष्ण को कईं चित्रों में नीले स्वरूप में दिखाया गया है। ऐसा कहा जाता है कि उनके शरीर का रंग आसमान की तरह नीला था। लेकिन ऐसा संभव नहीं है किसी मनुष्य के शरीर का रंग नीला हो। इसके पीछे दो कारण बताए जाते हैं। एक कारण ये बताया जाता है कि पूतना द्वारा विष पिलाए जाने से श्रीकृष्ण का शरीर हल्का नीला हो गया था। वहीं दूसरा कारण ये भी माना जाता है कि कालिया नाग द्वारा जहर छोड़ने से श्रीकृष्ण का शरीर नीला हो गया था।
क्या श्रीकृष्ण की 16 हजार रानियां थीं?
जनश्रृति है भगवान श्रीकृष्ण की 16 हजार से अधिक रानियां थीं। श्रीमद्भागवत के अनुसार, श्रीकृष्ण की 108 रानियां थीं, जिसमें से 8 प्रमुख थीं। जब श्रीकृष्ण नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, उसकी कैद में 16 हजार स्त्रियां थीं। उन स्त्रियों को समाज में मान-सम्मान देने के लिए श्रीकृष्ण ने उन सभी से विवाह किया। इस तरह श्रीकृष्ण की पत्नियों की संख्या 16 हजार से अधिक हो गई।
श्रीमद्भागवत में नहीं राधा का वर्णन
प्रचलित कथाओं के अनसुार, राधा भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका थी। आज भी कईं स्थानों पर राधा के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि जिस श्रीमद्भागवत पुराण में श्रीकृष्ण के पूरे जीवन का वर्णन है, उसमें कहीं भी राधा का वर्णन नहीं है। यहां तक कि महाभारत, हरिवंशपुराण और विष्णुपुराण भी राधा का वर्णन नहीं है। राधा का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलता है।