Delhi News: लोकसभा में नेता विपक्ष ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया लागू करके वोट चोरी का आरोप लगाया है। बिहार चुनाव में हार के बाद विपक्ष इस मुद्दे पर और आक्रामक रुख अपना रहा है। इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दलों से चर्चा के बाद संसद के शीतकालीन सत्र में बड़ा प्रस्ताव लाया जाएगा।
विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। हालांकि विपक्ष के पास ऐसे प्रस्ताव को पास कराने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। लेकिन वह अपने आंकड़ों के दम पर प्रस्ताव जरूर ला सकता है। इसके जरिए कांग्रेस बिहार हार के बाद इंडिया ब्लॉक में एकजुटता दिखाना चाहती है।
विपक्ष की रणनीति
विपक्ष को पता है कि वह प्रस्ताव पास नहीं करा सकता। लेकिन वह चार प्रमुख बिंदुओं पर जनता तक पहुंचना चाहता है। पहला बिंदु चुनाव आयुक्त चयन समिति में बदलाव का है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की जगह अब कैबिनेट मंत्री को शामिल किया गया है।
दूसरा बिंदु चुनाव आयुक्तों को मिलने वाली कानूनी सुरक्षा का है। नए कानून के तहत उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। तीसरा बिंदु एसआईआर प्रक्रिया और वोटर लिस्ट में धांधली का आरोप है। चौथा बिंदु सीसीटीवी फुटेज जल्दी नष्ट करने का है।
चुनाव आयोग पर आरोप
विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग सत्ता पक्ष के साथ मिलकर काम कर रहा है। एसआईआर प्रक्रिया के तहत वोटर लिस्ट में धांधली की गई है। महज पैंतालीस दिन बाद सीसीटीवी फुटेज नष्ट कर दिए जाते हैं। विपक्ष के आरोपों को अनसुना किया जा रहा है।
विपक्ष का मानना है कि यह स्थिति लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। चुनाव आयोग की तटस्थता पर सवाल उठ रहे हैं। निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करना जरूरी है। संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता बनाए रखनी होगी।
राजनीतिक महत्व
इस प्रस्ताव के जरिए विपक्ष अपना राजनीतिक एजेंडा आगे बढ़ाना चाहता है। कांग्रेस को उम्मीद है कि चर्चा और वोटिंग के दौरान उसे अपनी बात रखने का मौका मिलेगा। इंडिया ब्लॉक एकजुट होकर सामने आएगा। आम आदमी पार्टी जैसे दल भी विपक्ष के साथ खड़े दिख सकते हैं।
विपक्ष सत्ता पक्ष और चुनाव आयोग को एक तरफ रखना चाहता है। पूरे विपक्ष को एक मंच पर लाना चाहता है। इससे उसे अपना नैरेटिव सेट करने में मदद मिलेगी। बिहार चुनाव में हार के बाद यह रणनीतिक कदम महत्वपूर्ण है।
कानूनी पहलू
मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्त अधिनियम 2023 के तहत महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। चुनाव आयुक्तों को उनके कार्यकाल के दौरान कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है। उनके खिलाफ दीवानी या फौजदारी मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
किसी आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश के बिना पद से नहीं हटाया जा सकता। चयन समिति में भी बदलाव किया गया है। इन बदलावों पर संसद में व्यापक चर्चा की उम्मीद है। विपक्ष इन मुद्दों को उठाना चाहता है।
शीतकालीन सत्र की उम्मीदें
संसद का आगामी शीतकालीन सत्र राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होगा। विपक्ष चुनाव सुधारों पर केंद्रित रहने की योजना बना रहा है। एसआईआर प्रक्रिया और चुनाव आयोग की भूमिका पर जोर दिया जाएगा। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस की उम्मीद है।
विपक्ष के पास संख्याबल कम होने के बावजूद वह मुद्दे उठाना चाहता है। जनता के सामने अपनी बात रखना चाहता है। चुनावी सुधारों की मांग को लेकर वह एकजुट दिखना चाहता है। इससे भविष्य की राजनीतिक रणनीति तय होगी।
