Shimla News: राजधानी में आजीविका भवन और स्लॉटर हाउस की तरह नगर निगम की कई और संपत्तियों में भी नक्शे और कंपलीशन जैसी अनियमितताएं होने का अंदेशा है। शहर में निगम की कुल कितनी संपत्तियां में से ऐसी भी हैं जिनमें नियमों की अनदेखी की गई है, इनका रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है।
आने वाले दिनों में कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। नगर निगम के नए आयुक्त भूपेंद्र अत्री ने सभी शाखाओं से संपत्तियों का रिकॉर्ड तलब कर लिया है। शहर में नगर निगम की पार्किंग, बुक कैफे, सामुदायिक भवन, दुकानें, दफ्तर, कर्मचारी आवास समेत 1100 से अधिक संपत्तियां हैं। इनमें ज्यादातर का निर्माणकार्य नगर निगम बजट से किया गया है।
कई भवनों का निर्माण स्मार्ट सिटी और अमृत मिशन से किया गया है। आम शहरी की तरह नगर निगम को भी हर निर्माण के लिए नक्शा पास करवाना अनिवार्य है। साथ ही निर्माण के बाद इनकी कंपलीशन लेना भी जरूरी है। इसके बाद ही आम जनता को इनकी सुविधा दी जा सकती है। निगम के कई निर्माण ऐसे हैं जिनमें या तो नक्शे पास नहीं हैं या फिर निर्माण के बाद नक्शे बनाए जा रहे हैं।
कई भवनों की कंपलीशन नहीं है। शहरवासियों को निर्माण के नियम कानून बताने वाले निगम ने अब तक खुद कितने अवैध निर्माण कर दिए हैं, इस पर जल्द ही बड़ा खुलासा हो सकता है।
रिकॉर्ड तैयार होने पर बनेगा अगला प्लान
संपत्तियों का रिकॉर्ड तैयार होने के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि कितने भवनों में नक्शे या कंपलीशन जैसी औपचारिकताएं पूरी नहीं की गई हैं। अगला प्लान यह है कि सबसे पहले ये औपचारिकताएं पूरी की जाएं ताकि आजीविका भवन या स्लॉटर हाउस की तरह बाद में कोई विवाद खड़ा न हो। प्रशासन का कहना है कि रिकॉर्ड बनने से यह भी पता लगेगा कि संपत्तियां किस हालत में हैं, किसकी मरम्मत की जरूरत है, किससे कितनी कमाई हो रही है और किसे ठेके पर दिया जाना है।
शहरी विधायक भी उठा चुके हैं सवाल
शहर में नगर निगम की ओर से करवाए गए कामों को लेकर शहरी विधायक हरीश जनारथा भी सवाल उठा चुके हैं। इनकी जांच की मांग भी उठ चुकी है। भविष्य में होने वाले निर्माणों पर इस तरह के सवाल न उठे, इसके लिए आयुक्त ने अधिकारियों को नियमानुसार काम करने के सख्त निर्देश दे दिए हैं।
तैयार किया जा रहा है रिकॉर्ड : आयुक्त
नगर निगम की शहर में कुल कितनी संपत्तियां हैं, ये इस समय किस हालत में हैं, इन सबका रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है। हर शाखा से रिकॉर्ड देने को कहा गया है। -भूपेंद्र अत्री, आयुक्त नगर निगम शिमला